शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मंदिर में प्रयोग शीलाओं की आयु हजार साल

राम मंदिर को स्वरुप देने वाली शिलाओं की आयु होगी एक हजार साल


सौरभ दुबे
अयोध्या। राममंदिर को लेकर लोगों में बहुत ही जादा उत्सुकता है। वहीं विहिप से जुड़े जानकारों की ओर से दावा किया जा रहा है कि राम मंदिर को स्वरूप देने वाली शिलाओं की आयु एक हजार वर्ष से अधिक रहेगी।
श्रीरामजन्मभूमि न्यास की ओर से मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर से विशेष किस्म के पिंक सैंड स्टोर को मंगा कर कार्यशाला में उनकी तराशी कराई गई है। गुलाबी रंग का यह पत्थर दिखने में ही काफी मोहक है। मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी का कार्य 65 फीसद हो चुका है, लेकिन अभी भी मंदिर की ऊपरी छत और शिखर आदि हिस्सों के लिए पत्थरों की तराशी होना बाकी है। इसके लिए एक लाख घन फीट पत्थरों की और जरूरत है। विहिप से जुड़े जानकारों के मुताबिक चार साल पहले संगठन की ओर से पत्थरों के बारे में अधिक से अधिक तथ्य प्राप्त करने के लिए इनकी लैब टेस्टिंग कराई गई थी, जिसके बाद यह बात सामने आई थी। न्यास कार्यशाला में अब तक एक लाख घन फीट पत्थरों की तराशी हो चुकी है, जबकि इससे अधिक पत्थरों को अभी तराशा जाना है।
विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के मुताबिक, राम मंदिर का निर्माण न्यास के मॉडल के अनुरुप ही रहेगा। राममंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पत्थरों की आयु को लेकर कुछ साल पहले टेस्टिंग कराई गई थी। जिसमें पत्थरों की आयु एक हजार साल है ऐसी बात सामने आई थी।


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