नई दिल्ली। उत्तरी-पूर्वी दिल्ली हिंसा को लेकर शिवसेना ने गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। पार्टी ने गृहमंत्री से सवाल पूछा है कि जब दिल्ली जल रही थी, लोग जब आक्रोश व्यक्त कर रहे थे तब गृहमंत्री अमित शाह कहां थे? क्या कर रहे थे? शिवसेना ने मुखपत्र 'सामना' के जरिए कहा कि दिल्ली के दंगों में अब तक 39 लोगों की मौत हो गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। मान लें केंद्र में कांग्रेस अथवा दूसरे गठबंधन की सरकार होती और विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा गया होता।
शिवसेना ने कहा कि गृहमंत्री के इस्तीफे के लिए दिल्ली में मोर्चा व घेराव का आयोजन किया गया होता। राष्ट्रपति भवन पर धावा बोला गया होता। गृहमंत्री को नाकाम ठहराकर ‘इस्तीफा चाहिए!’ ऐसी मांग की गई होती। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि भाजपा सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है। फिर भी सोनिया गांधी ने गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा है। देश की राजधानी में 39 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी हैं और केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अहमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सिर्फ ‘नमस्ते, नमस्ते साहेब!’ कहने के लिए गया था। केंद्रीय गृहमंत्री व उनके सहयोगी अहमदाबाद में थे, उसी समय गृहविभाग के एक गुप्तचर अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या दंगों में हो गई। लगभग 3 दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोबाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे, इससे क्या होगा? जो होना था वो नुकसान पहले ही हो चुका है। सवाल ये है कि इस दौर में हमारे गृहमंत्री का दर्शन क्यों नहीं हुआ? देश को मजबूत गृहमंत्री मिला है लेकिन वे दिखे नहीं, इस पर हैरानी होती है।
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