गुरुवार, 9 जनवरी 2020

सीटीयू बसों का बड़ा किराया, सफर महंगा

चंडीगढ़ में सफर हुआ मंहगा, सीटीयू बसों का किराया बढ़ा, पढ़ें-कितनी हुई वृद्धि


अमित शर्मा


चंडीगढ़। ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) की बसों में अब सफर करना और महंगा हो गया है। यूटी प्रशासन ने स्थानीय व लंबी दूरी के लिए चलने वाली एसी और नॉन एसी बसों के किराये में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इससे सीधे आम जनता की जेब पर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि प्रशासन ने बीते दिनों पानी के दाम भी बढ़ाए हैं। बुधवार को यूटी सचिवालय में हुई एक बैठक में किराया बढ़ाने के प्रस्ताव को प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि सीटीयू ने लंबे समय से किराये में बढ़ोतरी नहीं की थी, जबकि पंजाब और हरियाणा सहित अन्य रोडवेज कई बार किराया बढ़ा चुके थे। प्रशासक वीपी सिंह बदनौर के सामने ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी एके सिंगला ने बढ़े किराये पर बातचीत की और लोकल रूट पर सीटीयू को हो रहे घाटे के बारे में जानकारी दी। बता दें कि सीटीयू को लंबी दूरी की बसों में लाभ हो रहा है लेकिन स्थानीय स्तर पर चलने वाली बसों में प्रति किलोमीटर करीब 35 रुपये का घाटा पड़ रहा है। सीटीयू शहर में करीब 400 बसें चला रहा है, ऐसे में कई साल से किराया नहीं बढ़ाने की वजह से सीटीयू का घाटा बढ़ता जा रहा है। पीजीआई के बाहर लग रहे लंगर को किया जाएगा शिफ्ट:
प्रशासक ने पीजीआई के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. जगतराम के साथ भी चर्चा की, जिसमें उन्होंने अपने कई मुद्दे प्रशासक के समक्ष रखे। पीजीआई डायरेक्टर ने बताया कि पीजीआई ओपीडी में मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है, जिस पर प्रशासक ने ओपीडी की भीड़ कम करने के लिए उन्हें अतिरिक्त भूमि देने का फैसला लिया है। इसके अलावा उन्होंने पीजीआई के बाहर लंगर लगने के चलते गंदगी होने का भी मुद्दा उठाया है। इस पर प्रशासक ने कहा कि अधिकारी लंगर को अन्य जगह शिफ्ट करने के लिए काम करेंगे। यूटी प्रशासन ने पंजाब सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध किया है, जिसमें उन्होंने सुखना लेक की बाउंड्री से ईको सेंसटिव जोन की दूरी सिर्फ 100 मीटर करने की सिफारिश की है। वाइल्डलाइफ सेंचुरी के आसपास ईको सेंसटिव जोन जरूरी है। बता दें कि 2017 में चंडीगढ़ प्रशासन ने वाइल्डलाइफ सेंचुरी के आसपास यूटी बाउंड्री के अंदर आने वाले क्षेत्र को ईको सेंसटिव जोन घोषित किया था। चंडीगढ़ की रेंज में इस ईको सेंसटिव जोन की दूरी 2 से 2.75 किलोमीटर के करीब है, जबकि पंजाब के अंदर आते एरिया को अभी तक ईको सेंसटिव जोन घोषित नहीं किया गया है। यही कारण है कि पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, जिसमें उन्होंने सुखना वाइल्डलाइफ सेंचुरी से 100 मीटर दूरी करने की सिफारिश की है।


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