शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

प्रथम शिक्षिका जयंती पर सम्मान-समारोह

रजनीकांत अवस्थी
शिवगढ़-रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के दामोदर खेड़ा गांव में स्थित बौद्ध उपासक महासभा कार्यालय में बड़े ही हर्षोल्लास पूर्वक देश की प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की जयंती एवं मेधावी छात्र सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सावित्रीबाई फुले एवं उनके पति ज्योति राव फूले व भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पमाला अर्पित कर किया गया।
      आपको बता दें कि, शिक्षिका श्रीदेवी ने माता सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री माता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी सन 1831 में हुआ था, उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है।
        वहीं शिक्षक अजय सिंह पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि, माता सावित्रीबाई फुले ने 3 जनवरी 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ महिलाओ के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई व उनके पति महात्मा फुले ने पाँच नये विद्यालय सहित कुल 18 विद्यालय खोलकर शिक्षा की अलख जगाई थी।
       जरा कल्पना कीजिए कि, एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। बालिका शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी।
     वहीं अमरीश कुमार बौद्ध ने अपने संबोधन में कहा कि, माता सावित्रीबाई फुले ने उस कठिन दौड़ में खुद पढ़ने लिखने के साथ दूसरी बालिकाओं के भी पढ़ने का बंदोबस्त किया था, वह भी पुणे जैसे शहर में। बसंतलाल व जगजीवन भारती ने अपने संबोधन में कहा कि, शिक्षा की देवी सावित्रीबाई फुले ने अपने जीवन में बहुत सी मुश्किलें झेली है। उस समय आलम यह था कि, जब वे स्कूल जाती थीं, तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे। उन पर गंदगी फेंक देते थे। आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था। उस समय कितनी सामाजिक मुश्किलों से विद्यालय खोले होंगे। माता सावित्रीबाई पूरे देश की महानायिका हैं।
      प्रथम शिक्षिका माता सावित्रीबाई फुले की जयंती के पावन अवसर पर पाली भाषा के मेधावी छात्र शिवनारायन, प्रेमनारायन,रामदास गौतम, मांडवी गौतम, राजनारायन, नीरज कुमार, साहित्य विक्रम, अनूप कुमार,संतोष कुमार गौतम सहित छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित भंते कमलशील,सुमंत लाजबती,एमएल गौतम, चंदन सोनकर, गुरु चरण वर्मा, राजकुमारी, रामचंद्र ,आलोक कुमार बौद्ध, राजकुमार, श्रीराम, रामदास,सुरेंद्र बौद्ध, चंद्रोदय,संदीप विद्यार्थी, रामलखन,रामबालक, भजनलाल,विनोद कुमार, सुनील कुमार,तेज नारायण, रामदेव, रामसुरेश,अनूप कुमार, अमित कुमार सहित वक्ताओं ने सावित्रीबाई फुले के जीवन पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि, आज हम सभी को माता सावित्रीबाई फुले के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी, तभी समाज का उत्थान संभव है।


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