सोमवार, 20 जनवरी 2020

पीएम मोदी ने की 'परीक्षा पर चर्चा'

नई दिल्ली। आगामी परीक्षा के मद्देनजर सोमवार को परीक्षा पे चर्चा का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली तालकटोरा स्टेडियम से टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देशभर के स्कूली छात्र छात्राओं के साथ बातचीत करते हुए उनके सवालों का समाधान दिया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने बच्चों के प्रदर्शनी का भी जायजा लिया। परीक्षा पे चर्चा  2020 के कार्यक्रम में करीब 2000 बच्चों ने हिस्सा लिया जिनमें से 1050 बच्चों का चयन निबंध प्रतियोगिता के जरिए किया गया था। देशभर के बच्चों के साथ बिलासपुर के महारानी लक्ष्मी बाई स्कूल और अन्य स्कूलों में भी बच्चों ने टीवी पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण देखा।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद सहजता  और आत्मीयता के साथ बच्चों से मुखातिब हुए ।उन्होंने चंद्रयान अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि नाकामी के डर से हमें प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि विफलताओं से ही सफलता निकल कर सामने आती है ।उन्होंने कहा कि लगातार प्रयास हम में उत्साह जगाती है और विफलता का मतलब ही यही है कि अब सफलता निश्चित है। उन्होंने कहा कि अगर हम विफलता से ठहर गए तो फिर आगे नहीं निकल पाएंगे। जीवन में  जीवटता और कर्तव्य परायणता के साथ आत्मविश्वास का उदाहरण देते हुए उन्होंने 2001 कोलकाता टेस्ट सीरीज का जिक्र किया जिसमें भारत ने फॉलो ऑन के बाद भी लक्ष्मण और द्रविड़ की यादगार पारी और हरभजन सिंह की धारदार गेंदबाजी के चलते वह टेस्ट जीता था। वहीं उन्होंने साल 2002 में वेस्टइंडीज के मैच में अनिल कुंबले के चोट लगने के बाद भी जीवटता के साथ मैच खेलने का भी जिक्र किया । एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिभा का मूल्यांकन परीक्षा से प्राप्त अंकों से नहीं किया जाता जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा को जीवन का एक पड़ाव बताया । उन्होंने कहा कि  स्कूली परीक्षा के अलावा पूरे जीवन भर परीक्षाओं का क्रम चलता रहता है।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सभी बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य गैर शैक्षणिक गतिविधियों में भी निरंतर भाग लेना चाहिए। वहीं उन्होंने साइंस और टेक्नोलॉजी पर चर्चा करते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी से भयभीत होने की जरूरत नहीं है बल्कि टेक्नालॉजी को अपना साथी बनाना चाहिए ।इसके साथ उन्होंने यह भी जरूर जोड़ा कि मौजूदा स्मार्टफोन व्यक्ति का समय खा रहा है इसलिए उन्होंने स्मार्ट फोन को परे रखकर परिवार के साथ वक्त बिताने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, तकनीक का गुलाम होने की जगह तकनीक पर अपना नियंत्रण रखना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मातृभाषा और देश की अन्य भाषाओं को सीखने पर भी जोर देते हुए कहा कि सभी को रोज डिक्शनरी से 10 नए शब्द जरूर सीखना चाहिए। तकनीक के प्रति स्वयं के आकर्षण का भी जिक्र करते हुए उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि रोज एक घंटा तकनीक को परे रखकर परिवार के सदस्यों को समय दे। इसके लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी फ्री रूम की भी सलाह दी। कर्तव्य और अधिकार पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा जोर कर्तव्यों पर होना चाहिए अधिकार तो खुद ब खुद हासिल होंगे ही। वहीं उन्होंने स्वदेशी उत्पादो की खरीदी पर भी जोर दिया। अभिभावकों को सलाह देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बच्चों पर वे अपनी अपेक्षाओं का बोझ ना लादे, बल्कि बच्चों को सही दिशा में प्रोत्साहित अवश्य करें । बच्चों के लिए पढ़ने का कौन सा वक्त बेहतर होगा इस पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बच्चों को देर रात की बजाय सुबह-सुबह पढ़ना चाहिए जिससे पाठ्यक्रम बेहतर याद होगा हालांकि उन्होंने इसके लिए व्यक्तिगत रूचि पर अधिक जोर दिया। सोमवार को स्कूली बच्चों के लिए आयोजित परीक्षा पे चर्चा  कार्यक्रम के दौरान देशभर के स्कूल के बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने सवाल किए ।सवाल करने वाले बच्चों में अधिकांश जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय के बच्चे शामिल थे ।वही बिलासपुर के बच्चों ने भी पूरे कार्यक्रम को मनोयोग से सुना और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बताए टिप्स आगामी परीक्षा में जरूर मददगार साबित होंगे।


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