शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

पतित-पावन 'उपन्यास'

पतित-पावन     'उपन्यास'
 गतांक से....
गलूरी सिंह सुबह 4:00 बजे उठकर खेत में चला जाता है और 12:00 बजे आकर तीसरे पहर के 4:00 बजे पुनः खेत में चला जाता है। शाम को 7:00 बजे आता है, यही दिनचर्या था गलूरी सिंह कौर का। कभी-कभी खाना-दाना खेत में ही पहुंच जाता था। कभी-कभी भूखा भी रहना पड़ता था। 100 बीघे जमीन एक कलेसर और उसके साथ सारी जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। बड़े साहबजादे थे महकी सिंह मस्त-मौला आदमी, खाने-पीने का शौकीन। जो जी में आए करता, मन में न आए न करता।खाना सबसे बढ़िया चाहिए, कपड़ों की चुन्नट सिकुड़नी नहीं चाहिए। यदा-कदा कहीं दाग भी लग जाए तो सबका नाक में दम कर देता था। 100-200 गालियां मुफ्त में देना उसका स्वभाव था। इसीलिए उसके स्वभाव से सब डरते थे कि कहीं बिगड़ ना जाए। शाम को हुक्का पीता हुआ बोला- हां भाई खेत का के हाल है? लाइए का बंदोबस्त कर दिया या नहीं। हल तो तुम सारे मिलकर काट लोगे।गलूरी बोला- काट लेंगे तू अपनी मस्ती में मस्त रह। किसी का नाश हो क्या फर्क पड़ रहा? दूसरे को भुगतनी पड़ेगी अपने आप भुगतेगे।चुस्त पैजामी पैहर कै मौज कर। नून-तेल के भाव तेरा के मतलब। महकी दोषपूर्ण बोला- मेरा क्यों दिमाग चाट रहा। गलूरी सिंह उसी लहजे में बोला- पहले ये गेहूं कटवा दे फिर पूरी साल सेलगाई में फिरते रहना। महकी बोला- मेरे तो बस की हैनी। अपनी बहू पै कटवाले वो भी तो ठाली पड़ी रह।गलूरी सिंह में तांव मे आकर बोला- उसके बच्चा होने वाला है  नहीं तो इतना नहीं बोलता। महकी तेवर बदलकर बोला- मेरे तो बस की हैनी, ना मुझे कुछ कहने की जरूरत है।
 कहीं पर्यतन करने के बावजूद भी गलूरी सिंह को निराशा ही मिली। उसने बरसात के डर से मजदूरों से गेहूं कटवा लिए।उनमें हर शाम को अनबन होती थी लेकिन कभी भी एक-दूसरे के बिना खाना नहीं खाते थे। इसी कारण गांव में उनके प्यार की बातें बहस बन जाया करती थी। अपने भाई को समय पर भोजन पहुंचाना महकी कभी भी नहीं भूलता था। वह घर में लेनदेन अवश्य ही करता था। लेकिन मशवरा अपना भाई का अवश्य लेता था। कुछ समय यूं ही गुजर जाता है। गलूरी सिंह भी बच्चों की खुशी में मशगूल था। वही महकी भी फूला नहीं समा रहा था। माधुरी और भी खुश थी और यह खुशी खिलखिला कर हंस पड़ी। सारी खुशियां दामन में आने को है कि एक सुंदर सी बालिका जन्म होता है। सारे गांव में गुड बटंवाया गया। चारों तरफ खुशियां दौड़ पड़ी। क्षेत्र में हंसी-खुशी का व्यावहार था। पक्षी कोलाहल कर रहे थे, कलरव कर रहे थे। जया नाम रखा गया था इस सुंदर सी गुड़िया का। यह परिकल्पना हो रही थी, छवि की, भविष्य की। ललाट चौड़ा, लंबा शरीर, लंबी-लंबी अंगुलियां, बड़ी-बडी आंखें, गोरी की काया।  कोई भी कमी तो शरीर में प्रतीत नहीं हो रही थी। जन्मपत्री बनवाई लेकिन ध्यान से सुनी नही। इसी प्रकार 3 बच्चे हो गए और धनसंपदा भी विस्तार कर रही थी। इस समय जया की आयु केवल 12 वर्ष की थी। 200 बीघा जमीन हो चुकी थी, दिन पर दिन व्यापार बढ़ता ही जा रहा था। जया निरुपम सुंदर, शोभा उच्च विचारों की प्रतिमा प्रतीत हो रही थी। दया-भाव, शांत वातावरण में उत्तम गुण स्पष्ट झलक जाते थे। एक दिन जब माधुरी जन्मपत्री पढ़ रही थी। उसकी आवाज गई तथा सभी ने सुना जिस प्रकार केतकी के पुष्प सुंदरवन में होकर भी पूजा के योग्य नहीं होते हैं। उसी प्रकार केतकी पुष्प किसी देवालय देवता अथवा ठाकुर आदि कहीं किसी के चरणों में चढ़ाने योग्य नहीं होता है। उसी प्रकार यह कन्या एक स्त्री, माता, पत्नी आदि के योग्य नहीं है। इस कन्या के सूर्य मंडल में शामिल होने से यह दैहिक दुख को प्राप्त होगी तथा आजीवन इसे रोग और कष्ट घिरे रहेंगे। इसकी जन्मकुंडली में 11वें चरण में शनि हट किए हुए है। इसे एक वियोग का भी योग भी सहना पड़ेगा। जिसकी अवधि नियमित होने के कारण इसे दुख प्राप्त होगा। बृहस्पति चौथे घर में विराजमान होने के कारण ही युवा अवस्था में विपरीत बुद्धि के कार्य करेगी तथा दीर्घ काल पश्चात् बृहस्पति सातवें स्थान पर आने से यह अत्यंत बुद्धिमान कहलाएगी।  गलूरी सिंह विचलित होकर बोला- के अनाप-शनाप बकरी। माधुरी बोलती रही चंद्रमा गुरु होने के कारण सबको ज्ञान देगी। परंतु स्वयं अंधेरे में ही रहेगी। गरीबों को दान करेगी। भूखों को भोजन कराएगी, प्यासे को पानी पिलाएगी। जिसके कारण मानसिक विचारधारा अभिमानी रहेगी, जीवन में यदा-कदा कुछ विकार उत्पन्न होंगे। 80 वर्ष का जीवन व्यतीत करेगी। सदैव यही व्यथा बनी रहेगी। अपने द्वारा किए गए कार्यों का दुख उठाएगी कुटुंब पर दैविक आभा होगी। जीवन में कोई दोष नहीं है, चरित्र में अत्यंत चरित्रवान बनी रहेगी। कुछ कार्य अनुचित करने से जीवन सदा-सर्वथा उचित मार्गगामी बनी रहेगी। कभी भी ना हारने वाली है कन्या। जया के नाम से विख्यात होगी।
गलूरी सिंह सक्ति से बोला- दिमाग  तो ठीक है।


कृतः- चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भय-पुत्र'


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