शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

पंजाब में हो सकती है जेएनयू जैसी वारदात

पंजाब यूनिवर्सिटी में हो सकती है  जैनयू जैसी वारदात आउटसाइडर्स पर नहीं कसी जा रही नकेल


चंडीगढ़। देश का कोई भी शिक्षण संस्थान इस समय राजनीतिक गतिविधियों से अछूता नहीं है। इन शहरों में चंडीगढ़ ने भी अपना स्थान बना लिया हैं। बीते रविवार दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी हुए दो छात्र गुटों के बीच हुए खूनी संग्राम के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में भी इस प्रकार की घटना होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। पीयू में एबीवीपी और लेफ्ट समर्थक छात्र संगठनों में कई बार ठनी है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि पीयू में बन रहे हालात इस बात की गवाही दे रहे हैं। छात्र संगठनों की राजनीति ने इस समय छात्र हितों को छोड़ राज्य और केंद्र की राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है। इस आग में घी डालने का काम कर रहे है ऐसे तत्व जो छात्रों को भड़का रहें हैं। सुरक्षा से लेकर आउटसाइडर्स को रोकने में पीयू प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। इस लापरवाही का खामियाजा पढ़ रहे दूसरे बच्चों को उठाना पड़ सकता है। जान पहचान होने की वजह से छोड़ दिए जाते हैं आउटसाइडर्स पंजाब यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में अगर चेकिंग की जाए तो बड़ी संख्या में ऐसे स्टूडेंट्स मिलेंगे, जिनका पीयू से कोई लेना देना नहीं है। उसके साथ ही इन आउटसाइडर्स को इसलिए छोड़ दिया जाता है, क्योंकि उनकी किसी न किसी के साथ जान पहचान होती है। पीयू में बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। लेकिन जो यहां के हालात बन रहे हैं, ऐसे में बच्चों को पढ़ना नामुमकिन है। सुबह से रात तक पीयू में बाहरी लोग आते जाते हैं, ऐसे हम कैसे अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। -पूनम, छात्रा, ह्यूमन राइट्स डिपार्टमेंट। एसएफएस, एसएफआइ, आइसा, जैसे कई लेफ्ट छात्र संगठन हैं, जिनका विरोध दर्ज कराने का तरीका बहुत ही गलत है। यह संगठन बहुत ही ज्यादा उग्र तरीके से कैंपस में प्रोटेस्ट करते हैं। जिन्हें देखकर नहीं लगता कि यह लोग स्टूडेंट्स होंगे। गौतम शर्मा, छात्र, यूबीएस डिपार्टमेंट। पीयू में आउटसाइडर्स का मुद्दा नया नहीं है। धरना-प्रदर्शन हो या कोई और एक्टिविटी उसमें आउटसाइडर्स का जमावड़ा सबसे ज्यादा होता है। कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिन्होंने कितने समय पहले ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन वे अभी भी हॉस्टल्स में रह रहे है। -डॉली नागपाल, छात्रा, कल्चरल डिपार्टमेंट। लेफ्ट छात्र संगठन जबसे पीयू में सक्रिय हुए हैं, तब से पीयू का माहौल खराब हुआ है। आज तक पीयू में बहुत प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन कभी ईट, पत्थर नहीं चले, इन्होंने वो भी कर दिया। ऋषिका राज, छात्रा बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट।एजुकेशनल संस्थानों को स्लीपर सेल बनाया जा रहा है। यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन का मतलब स्टूडेंट्स की भलाई के लिए काम करना होता है, जबकि पीयू में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। लेफ्ट हो या राइट पार्टी हम उन्हें पीयू का माहौल खराब नहीं करने देंगे। -चेतन चौधरी, पीयू छात्र काउंसिल के प्रेसिडेंट।आउटसाइडर्स को रोकने के लिए हमारे पास काफी प्लानिंग है। इस पर कार्य भी हो रहा है। -प्रो. अश्वनी कौल, चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर, पंजाब यूनिवर्सिटी।


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