बुधवार, 15 जनवरी 2020

'लोकतंत्र को खतरा' 'विचार'

हम सब एक स्वस्थ लोकतंत्र की कामना करते हैं और ये ही चाहते हैं कि हमारे देश का लोकतंत्र मजबूत और प्रभावशाली हो और होना भी चाहिए। लेकिन आज जो कुछ भी चल रहा है, क्या वो एक स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक कहा जा सकता है ? लोकतंत्र में सभी को संवैधानिक तरीके से अपनी बात कहने का हक है। लेकिन संवैधानिक तरीका कैसा हो, जब देश में संविधान का ही मजाक बनाया जा रहा हो। लोकतंत्र सही मायनों में उसे कहते हैं जिसके अन्दर की जीवन-शैली तीन स्तम्भों पर निर्भर करती है। जिनमें आजादी, समाज के सभी वर्गों या व्यक्तियों में आर्थिक और सामाजिक स्तर पर बराबरी का हक हो, इसके साथ बन्धुत्व की भावना हो। ये बात साफ हो चुकी कि लोकतंत्र शासक के हाथों की कठपुतली है, वो उसे जिधर नचायेगी, उधर नाचेगी। जिसे नहीं नाचना वहीं शोर तो होना ही है। मैं जब दसवीं क्लास में पढ़ता था, तब भी लोगों के मुह सुना था कि लोकतंत्र खतरे में हैं। सही मायनों में मुझे ये समझ नहीं आया कि लोकतंत्र किससे खतरे में हैं। ये दौर स्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी का था। जिन्हें लोगों ने तानाशाह की संज्ञा दी थी।


सलीम रजा


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया

चेन्नई सुपर किंग्स ने ग्लीसन को टीम में शामिल किया  इकबाल अंसारी  चेन्नई। देश में इन दिनों आईपीएल की धूम मची हुई है। गत चैम्पियन चेन्नई सुपर...