शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

अध्यक्षता में एक बैठक की गई आयोजित

एनएच 44 पर एक्सीडेंटल डेथ्स पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा पुलिस की बड़ी पहल, बनाई रूपरेखा


अमित शर्मा


चंडीगढ़। हरियाणा में सड़क सुरक्षा सप्ताह के उपलक्ष्य में पुलिस महानिदेशक हरियाणा, मनोज यादव द्वारा कुंडली (सोनीपत) से शंभू बॉर्डर (अंबाला) तक राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के 187 किलोमीटर हिस्से में रोड एक्सीडेंट में जानलेवा व अन्य हादसों को कम करने के लिए एक बड़ी पहल की शुरूआत की गई है। डीजीपी ने कहा कि एनएच-44 को सुरक्षा के दृष्टिकोण से विश्व स्तर का राजमार्ग बनाना है ताकि यह पूरे देश के लिए एक आदर्श बन सके। इससे हम अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत सहित पांच जिलों से गुजरने वाले एनएच-44 पर सड़क दुर्घटना में होने वाली जानलेवा व अन्य हादसों को न्यूनतम स्तर पर लाने में सक्षम होंगे। इस उद्देश्य के साथ, आज हरियाणा पुलिस अकादमी मधुबन में डीजीपी हरियाणा की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक, हरियाणा लोक निर्माण विभाग व परिवहन विभाग के अधिकारियों सहित सड़क सुरक्षा शिक्षा संस्थान (आईआरटीई), फरीदाबाद के डॉ0 रोहित बलुजा व अन्य सड़क सुरक्षा इंजीनियरों ने भागीदारी की। बैठक में अंबाला, करनाल और रोहतक रेंज के रेंज आईजी, एनएच-44 पर पडने वाले अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और सोनीपत जिलों के एसपी ने भी शिरक्त की। इस पहल के तहत, हरियाणा पुलिस ने आईआरटीई के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत आईआरटीई संस्थान हरियाणा से गुजरने वाले एनएच-44 के इस 187 किलोमीटर की विस्तृत सड़क सुरक्षा ऑडिट करेगा। साथ ही, सड़क इंजीनियरिंग सुधार से संबधित गति सीमा निर्धारण, रोड मार्किंग और रोड साइनेज सहित सभी कार्यों का बेहतर क्रियान्वयन तथा सड़क उपयोगकर्ताओं की सभी श्रेणियों का जागरूकता के माध्यम से ध्यान केंद्रित कर दुर्घटना की रोकथाम के लिए एक विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करेगा। इस अवसर पर, आईआरटीइ के डॉ0 रोहित बलुजा ने बताया कि एनएच-44 के इस हिस्से में साल 2018 में 743 मृत्यु दर्ज हुईं, जो इसे भारत में सबसे अधिक दुर्घटना वाला राजमार्ग बनाता है। वास्तव में, एक वर्ष में इन सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या पूरे नीदरलैंड में और यहां तक कि संयुक्त अरब अमीरात में हर साल मरने वाले व्यक्तियों की संख्या से अधिक है। इन लोगों में से जिन लोगों की जान चली गई, वे पैदल यात्री, साइकिल चालक और दो पहिया वाहन चालक हैं। बैठक में लोगों की सुरक्षा, सड़क पर लोगों का व्यवहार, गल्त ओवरटेकिंग, ब्लैक स्पोट की पहचान, वैज्ञानिक निर्माण दृष्टिकोण, प्रवर्तन उपायों को तेज करना, सड़क के ठेकेदारों, सलाहकारों या रियायतकर्ताओं की एमवी (संशोधन) अधिनियम की धारा 198 ए के तहत गल्त सड़क डिजाइन के लिए जवाबदेही तय करना जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए, डीजीपी ने बताया कि पुलिस और अन्य एजेंसियों के सामने सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बेहतर कार्य ट्रैफिक जागरूकता और ट्रैफिक प्रवर्तन को इस ढंग से लागू करना है जिससे सड़क दुर्घटना में मरने वाले लोगों के बहुमूल्य जीवन को बचाया जा सके। इसके लिए, पुलिस विभाग एनएचएआई और परिवहन विभाग, हरियाणा की सहायता से आईआरटीई द्वारा की जा रही सड़क सुरक्षा ऑडिट से निकलने वाली सिफारिशों को लागू करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेगा। डीजीपी ने घोषणा करते हुए कहा कि एनएच-44 पर स्पीड रडार, ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर्स और कैमरे का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा, जो खतरनाक ड्राइविंग करने वालों सहित ओवरस्पीड और असुरक्षित लेन में चलने वालों पर अंकुष लगाने के लिए एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष से जुड़ा होगा। पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण को सड़क सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए, डी जी पी यादव ने कहा कि हरियाणा पुलिस अकादमी द्वारा प्रत्येक माह 50 पुलिस कर्मियों को सड़क सुरक्षा और क्रैश जांच संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इस संबंध में आईआरटीई  संस्थान की टीम से भी सहयोग देने का आग्रह किया।रोडवेज व ट्रांसपोर्ट कंपनियों के लिए जागरूकता अभियान डीजीपी ने कहा कि हरियाणा रोडवेज, पंजाब रोडवेज, हिमाचल प्रदेश रोडवेज, चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सीटीयू) और 20 से अधिक परिवहन कंपनियों के सहयोग से एक योजनाबद्ध और समन्वित जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारी वाहन उनके लिए निर्धारित की गई बाईं साइड लेन का उपयोग करें। इसके अलावा, एनएच-44 पर सभी अवैध और अनाधिकृत कट बंद किए जाएंगे क्योंकि वे कई दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। उन्होने चेतावनी देते हुए कहा कि लेन अनुशासन और गति सीमा के उल्लंघनकर्ताओं का भारी चालान करने के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी होगी। इसके अतिरिक्त, फुट ओवर ब्रिज्स (एफओबी) या अंडर पास का निर्माण उन जगहों पर किया जाएगा जहां बड़ी संख्या में पैदल चलने वालों को राष्ट्रीय राजमार्ग विशेषकर जिला सोनीपत और पानीपत में व्यस्त बिंदुओं को पार करने की आवश्यकता होती है।


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