मंगलवार, 28 जनवरी 2020

50 साल पुरानी बोडो समस्या का अंत

नई दिल्ली। पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों से उग्रवाद को खत्म करने की दिशा में मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 50 सालों से चली आ रही बोडो समस्या का अंत कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो उग्रवादियों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में सोमवार को असम समझौता 2020 पर हस्‍ताक्षर कर दिया। इस समझौते के साथ बोडोलैंड विवाद समाप्‍त हो गया, जिसमें अब तक 2823 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले 27 सालों में असम समझौते से जुड़ी यह तीसरी सफलता है।


त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की मौजूदगी में एनडीएफबी के चार धड़ों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुआ है। इस मौके पर गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण समेत कई बोडो नेता, खुफिया अधिकारी और केंद्र व असम सरकार के अधिकारी मौजूद रहें। समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले एनडीएफबी के चार धड़ों का नेतृत्व रंजन दाईमारी, गोविंद बासुमातरी, धिरेन बोरो और बी साओरायगरा द्वारा किया गया।


किसने क्या कहा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
इस मौके पर गृह मंत्री ने ऐलान किया कि उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्‍मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्‍वर्णिम भविष्‍य सुनिश्चित होगा। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि केंद्र सरकार बोडो लोगों से किए गए अपने सभी वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी। उन्‍होंने कहा कि इस समझौते के बाद अब कोई अलग राज्‍य नहीं बनाया जाएगा।


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