मंगलवार, 3 दिसंबर 2019

सऊदी किस हद तक ट्रंप का साथ देगा

रियाद। ईरान के साथ वार्ता के प्रयास के दायरे में यमन के युद्ध को खत्म करने के लिए सऊदी अरब के प्रयासों से इस बात में संदेह पैदा हो गया है कि सऊदी अरब ईरान के खिलाफ अमरीकी प्रतिबंधों में किस हद तक ट्रम्प का साथ देगा।
सऊदी शासकों को आशा है कि ओमान और ब्रिटेन की मध्यस्थता से जो बात चीत हो रही है वह हौसियों और अब्दो रब्बे मंसूर की सरकार के बीच वार्ता पर खत्म होगी।  सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने अपने छोटे भाई, खालिद बिन सलमान को यमन युद्ध को खत्म करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी है। इस तरह से अब यह कहा जा रहा है कि सऊदी अरब विदेश और रक्षा नींतियों में पहले की सतर्कतापूर्ण शैली की ओर वापस लौट रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य, आरामको में होने वाले हमले जैसी किसी भी आगामी घटना से बचना है विशेषकर इस लिए भी कि फार्स की खाड़ी के तटवर्ती देशों की सुरक्षा के अपने वादे का अमरीका ने भी पालन नहीं किया। दर अस्ल सऊदी अरब, यमन युद्ध और खाशुकजी की हत्या के बाद पड़े अपनी छवि के दाग धब्बे मिटाने का प्रयास कर रहा है ताकि सन 2020 में गुट-20 का प्रमुख बन सके। आरामको पर यमन के हौसियों द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमलों पर ट्रम्प ने जो रवैया अपनाया था उससे यह स्पष्ट हो गया कि फार्स की खाड़ी की सरकारें संकट में अमरीका पर भरोसा नहीं कर सकतीं। हालांकि अमरीका का यह आग्रह था कि इस हमले के पीछे ईरान का हाथ है।  
हालांकि बहरैन में हालिया सम्मेलन के दौरान सऊदी अरब और यूएई  वरिष्ठ अधिकारियों ने ईरान के खिलाफ जम कर बयान दिये हैं और सऊदी अरब ने आरामको पर हमले का आरोप ईरान पर एक बार फिर लगाया लेकिन फार्स की खाड़ी में जो हवा चल रही है उससे साफ महसूस हो रहा है कि एक साथ कई मोर्चों में तनाव कम करने का प्रयास शुरु हो गया है लेकिन फिर भी यह एक ठोस हक़ीक़त है कि मध्य पूर्व में हालात उसी समय सामान्य होंगे जब ईरान और अमरीका के बीच तनाव खत्म होगा।
इन सब के बावजूद हालिया महीनों में सऊदी अरब और यूएई ने कई ऐसे क़दम उठाए हैं जिनसे यह पता चलता है कि वह यमन के साथ ही नहीं बल्कि ईरान और क़तर के मामले में भी तनाव कम करने में दिलचस्पी ले रहे हैं।
कुवैत के उप विदेशमंत्री खालिद अलजारुल्लाह ने कहा है कि क़तर में आयोजित फार्स खाड़ी फुटबॉल कप में सऊदी अरब, यूएई और बहरैन की टीमों की भागीदारी, इन देशों के मध्य तनाव खत्म होने का स्पष्ट संकेत है।
उधर यूएई ने यमन से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और आरामको पर हमले या यूएई के तट पर धमाकों का ज़िम्मेदार ईरान को नहीं बताया और इसी के साथ यूएई के अधिकारियों ने फार्स की खाड़ी की सुरक्षा पर चर्चा के लिए ईरान की यात्रा भी की।
निश्चित रूप से विशेष ईरान के साथ तनाव कम करने के लिए फार्स की खाड़ी के तट वर्ती देशों की कोशिशों से ईरान के खिलाफ अमरीकी प्रतिबंध कमज़ोर होंगे जो अमरीका किसी भी दशा में नहीं चाहेगा लेकिन यमन युद्ध का अंत और ईरान से वार्ता निश्चित रूप से दो बड़ी महत्वपूर्ण घटना होगी।


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