बुधवार, 4 दिसंबर 2019

नागरिकता विधेयक को मोदी कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली! संसद भवन में बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक संसद भवन के एनक्सी बिल्डिंग में हुई। कैबिनेट की बैठक में बिल को मंजूरी मिलने के बाद अब इसे 9 दिसंबर को संसद में पेश किया जाएगा। सरकार शीतकालीन सत्र में ही इस बिल को पारित करवाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।


हालांकि एनआरसी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों को लेकर विपक्ष पुरजोर विरोध करने की तैयारी में लगा हुआ है।इस बिल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में पेश करेंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बिल का विरोध करेंगे। इससे संसद के दोनों सदनों में हंगामे के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।नागरिकता संशोधन बिल का राजद ने विरोध किया है। पार्टी नेता मनोज झा ने कहा कि इस मुल्क को इज़रायल ना बनने दें, इसे गांधी का हिंदुस्तान ही रहने दें।वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण को और दस साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को नागरिकता दी जा सकेगी।


हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को इस बिल का लाभ मिलेगा। हालांकि, मुसलमानों को इस दायरे में शामिल नहीं किया गया है।जानिये क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2016? नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 के तहत नागरिकता कानून 1955 में संशोधन किया जाएगा। इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिए जाने की बात कही गई है।- इस बिल के कानून बनने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 11 साल के बजाय महज छह साल ही भारत में रहने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।


इतना ही नहीं इन समुदाय के लोगों को पासपोर्ट एक्ट 120 और विदेशी अधिनियम 1946 के तहत जेल की सज़ा भी नहीं होगी। इसके लिए 31 दिसंबर 2014 की डेडलाइन रखी गई है। यानी पड़ोसी देशों से इस तारीख तक भारत में आ चुके हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी।मोदी कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन बिल को दी मंजूरी, अब संसद में किया जाएगा पेशनागरिकता संशोधन विधेयक 2016 बिल का अल्पसंख्यकों की तरफ से भारी विरोध हो रहा है।


NRC धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों को अलग नहीं करता है, जबकि ये बिल मुसलमानों को शामिल नहीं करता। साल 2016 में इस बिल को लाने के बाद से ही नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में भारी विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। असम, मणिपुर, नगालैंड और मेघालय हर तरफ लोगों ने इस बिल का भारी विरोध किया था।इस साल अक्टूबर में जब गृहमंत्री अमित शाह मिज़ोरम के दौरे पर गए थे तब वहां कई संगठनों ने विरोध किया था। असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के प्रमुख सलाहकार समुजल भट्टाचार्या ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वो किसी भी शर्त पर इस बिल को नहीं मानेंगे।


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