रविवार, 1 दिसंबर 2019

कांग्रेस ने लगाया 5000 करोड़ लूटने का आरोप

राणा ओबराय
कुमारी शैलजा व रणदीप सुरजेवाला का खट्टर सरकार पर खनन मामले पर बड़ा आरोप, 5000 करोड़ रु. से अधिक की लूट का आरोप

चंडीगढ़! खट्टर सरकार में 'खुली लूट-पूरी छूट' के सिद्धांत पर पनप रहा खनन माफिया!
कैग रिपोर्ट ने खट्टर सरकार व खनन ठेकेदारों की मिलीभगत की पोल खोलीी!
पिछले चार वर्षों से हरियाणा में खनन माफिया व सरकार का गठजोड़ अनेकों बार उजागर हुआ है। यमुना नदी पर गैरकानूनी बांध बना रेत, रोड़ी, पत्थर का अवैध खनन भाजपा सरकार की नाक तले खुलेआम चल रहा है।
अब कैग रिपोर्ट (रिपोर्ट नं. 4 ऑफ 2019) ने खट्टर सरकार द्वारा नाज़ायज़ खनन पर आंख मूंदने, सरकारी खजाने को चूना लगाकर खनन ठेकेदारों से पैसे की वसूली न करने तथा हरियाणा की नदियों का दोहन कर खनिजों की लूट की पोल खोल दी है।
कैग रिपोर्ट में सरकार के खजाने को चूना लगाने, नाजायज खनन के लिए नदियों का रास्ता मोड़ने व खनिजों की खुली लूट बारे कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं, जिन्हें सार्वजनिक पटल पर रखना आवश्यक है:-
1. खट्टर सरकार सही मायनों में 'अंधेर नगरी, चौपट राजा' साबित हुई है। कैग रिपोर्ट में यह सनसनीखेज व चौंकानेवाला खुलासा हुआ कि:-
(i) खट्टर सरकार को यह नहीं मालूम कि सरकार के द्वारा बोली लगाई गई, 95 खदानों (mines) में कितना खनिज भंडार है, जिसे निकाला जा सकता है (पृष्ठ 102-103, कैग रिपोर्ट);
(ii) खट्टर सरकार को नहीं मालूम कि खनिज ठेकेदारों द्वारा कितना खनिज निकाला गया (पृष्ठ 121, कैग रिपोर्ट);
(iii) खट्टर सरकार के पास निकाले गए खनिज के वजन का कोई रिकॉर्ड नहीं है (पृष्ठ 121, कैग रिपोर्ट);
(iv) खट्टर सरकार के पास खनिज ठेकेदारों द्वारा निकाले खनिज की ढुलाई (ट्रांसपोर्टेशन) व ट्रांसपोर्ट पर्मिट का कोई रिकॉर्ड नहीं (पृष्ठ 121, कैग रिपोर्ट);
(v) खट्टर सरकार के पास 95 खनिज खदानों की जाँच व निरीक्षण का कोई रिकॉर्ड नहीं (पृष्ठ 121, कैग रिपोर्ट)।
2. कैग रिपोर्ट के मुताबिक खट्टर सरकार ने 31 मार्च, 2018 तक खनिज ठेकेदारों से 1476.21 करोड़ रुपया वसूल न करके सरकार के खजाने को चूना लगाया (पृष्ठ 83 व 123, कैग रिपोर्ट)।
हद तो यह है कि भाजपा सरकार ने खनिज ठेकेदारों पर असीम कृपादृष्टि दिखाते हुए 69 ठेकेदारों से किश्त व ब्याज का 1155.84 करोड़ वसूला ही नहीं (पृष्ठ 97 व 98, कैग रिपोर्ट)। यहां तक कि भाजपा सरकार खनन ठेकेदारों से माईंस व मिनरल रिहैबिलिटेशन फंड का 66.74 करोड़ रु. का मूल व ब्याज लेना ही भूल गई।
खट्टर सरकार व खनिज ठेकेदारों की मिलीभगत का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है? सच यह है कि कैग रिपोर्ट ने खट्टर सरकार व खनन माफिया के गठजोड़ को रंगे हाथों पकड़ लिया।
3. कैग रिपोर्ट में सबसे बड़ा घोटाला तो यह सामने आया कि खट्टर सरकार की नाक के नीचे खनन ठेकेदार दुगने खनन क्षेत्र पर खनिजों का दोहन करते पाए गए। यहां तक कि गैरकानूनी खनन के चलते नदी के बहाव का मुंह तक मोड़ दिया गया, तटबांध की सीमा पूरी तरह से बदल दी गई और गैरकानूनी पुल बनाए गए।
(i) कैग ने 95 खनन क्षेत्रों में से 3 खनन क्षेत्रों का 'जियो स्पेशल सर्वे' (भू-स्थानिक सर्वे) करवाया। गुमथला उत्तर खनन ब्लॉक के सर्वे में यह साफ तौर से साबित हुआ कि खनन ठेकेदार आबंटित क्षेत्र से दोगुने क्षेत्र (204 प्रतिशत) में खनन कर रहा था। स्वाभाविक तौर से खनन किए जाने वाले रिज़र्व की मात्रा भी 20.34 लाख टन से बढ़कर 44.72 लाख टन हो गई थी। सीधे-सीधे सरकार को राजस्व में लगभग 100 प्रतिशत का चूना लगा (पृष्ठ 104-105, कैग रिपोर्ट)।
(ii) गैरकानूनी खनन करते हुए नदी का मुँह तक मोड़ दिया गया व गैरकानूनी खनन के चलते तटबाँध भी पूरी तरह से बदल गया। यहां तक कि खनन करने के लिए नदी के बीचों बीच एक पुल भी बना लिया गया (पृष्ठ 107-108, कैग रिपोर्ट)। रेत माफिया द्वारा नदी के बीचों बीच 'डैम' बनाकर नदी के प्राकृतिक बहाव को भी रोका गया (पृष्ठ 109-110-111, कैग रिपोर्ट)।
(iii) हद तो यह है कि कैग ने यह भी पाया कि बगैर बोली किए ही खुलेआम गैरकानूनी खनन हो रहा है। इस बारे कैग ने नगली ब्लॉक, यमुना नगर का उदाहरण दिया तथा सैटेलाईट इमेज लगाकर यह साबित भी किया (पृष्ठ 112, कैग रिपोर्ट)।
(iv) कैग ने स्पष्ट तौर से कहा कि खट्टर सरकार द्वारा इन सारे गैरकानूनी खनन के प्रमाण इकट्ठे कर कार्यवाही करने बारे सभी खनन क्षेत्रों में भी जाँच की जाए (पृष्ठ 105, कैग रिपोर्ट)। 18 महीने बीत जाने के बावजूद भी (01 अप्रैल, 2018 से नवंबर, 2019) खट्टर सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। क्या यह नहीं दर्शाता कि 'दाल में काला नहीं', भाजपा सरकार में तो 'पूरी दाल ही काली' है। एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा सरकार को इन 95 खनिज खदानों से 2133 करोड़ रु. सालाना की आय होनी चाहिए। उधर कैग रिपोर्ट ने पाया है कि खनन ठेकेदार दोगुने क्षेत्र में खनन कर राजस्व को चूना लगा रहे हैं। अगर इसे सभी 95 खनन क्षेत्रों में लागू किया जाए और यह माना जाए कि तीन चौथाई खनन क्षेत्रों में दोगुने या उससे अधिक क्षेत्रफल में खनन हो रहा है (जैसा कि सैंपल सर्वे में कैग ने पृष्ठ 103 से 112 में दर्शाया है), तो 5000 करोड़ रु. सालाना से अधिक का सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। क्या यह सब खट्टर सरकार की मिलीभगत के बगैर हो सकता है? खनन माफिया, खनन ठेकेदार व सरकार का गठजोड़ साफ है। इसीलिए तो कहा है कि 'जब सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे का'। समय आ गया है कि खनन घोटाले की पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से तीन महीने के अंदर जाँच हो, ताकि राजनैतिक – प्रशासनिक – खनन माफिया – खनन ठेकेदारों के गठजोड़ का पर्दाफाश हो।


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