शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

स्क्रैप की आड़ में शातिराना ढंग से चोरी

पाली नगर से स्क्रैब की आड़ में शातिराना तरीके से बाहर जा रहा संयंत्रों,उपक्रमों से चोरी का कबाड़


कोरबा। जिले में अवैध कबाड़ के धंधों पर पुलिस प्रशासन द्वारा रोक लगाने के बाद भी जिस दुस्साहस तरीके से कबाड़ियों द्वारा कबाड़ का दो नंबरी व्यवसाय जारी रखा गया है। उससे कहीं ना कहीं पुलिस की छवि पर सवालिया निशान लग रहे है। जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कुछ माह के भीतर जिस प्रकार बड़े वाहनों के माध्यम से अन्यंत्र खपाने ले जाते अवैध कबाड़ पकड़ाया गया है। उससे जाहिर है कि धंधे पर रोक लगाने के फरमान के बाद किसी तरह का लगाम नही लग पाया है। मामले में सूचना पश्चात ही पुलिस द्वारा हरकत में आकर अवैध कबाड़ का परिवहन पर धरपकड़ कर जब्ती की कार्यवाही किया गया है। लेकिन इस पहलू पर अनजाने में या जानते हुए यह जानने का प्रयास नही किया गया कि जिले में कबाड़ व्यवसाय संचालन का ठिकाना एवं सूत्रधार आखिर कौन-कौन है।जिले के पाली नगर में भी कबाड़ का अवैध गोरखधंधा शातिराना तरीके से संचालित हो रहा है। मामले पर सूत्रों द्वारा छनकर आयी खबर के अनुसार पाली नगर में अवैध कबाड़ का व्यवसाय शातिराना तरीके से संचालित है।जहां घरों से निकलने वाला प्लास्टिक व लोहा-टीन सहित स्क्रैब सामानों के साथ जिले में संचालित विभिन्न संयंत्रों एवं कोयला खदानों से चोरी का कबाड़ को नगर के लगने वाले साप्ताहिक बाजार के पास एकत्र कर चारपहिया वाहन के माध्यम से आधी रात अन्यंत्र भेजा जाता है। जिस प्रकार शातिर तरीके से यह अवैध धंधा संचालित हो रहा है।वह अन्य किसी के संज्ञान में नही आ पाया है।महज दिखावा स्वरूप घरों से निकलने वाले लोहा-टीन व प्लास्टिक स्क्रैब सामानों को बाहर रखा जाता है। जबकि संयंत्रों एवं उपक्रमों से चोरी किया गया कबाड़ छुपाकर रखा जाता है।जिसे रात में चारपहिया वाहन में भरकर बाहर खपाया जाता है।तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा द्वारा अपने कार्यकाल में कबाड़ियों पर गिराए गए गाज के दौरान जिले के सभी कबाड़ी दुबक गए थे।जहाँ उनके अन्यंत्र स्थान्तरण के बाद उक्त अवैध धंधे की सुगबुगाहट पुनः दिखाई देने लगी जो धीरे-धीरे कर वृहद् रूप से अपना पाँव पसारती जा रही है।वर्तमान समय में कबाड़ का जो धंधा नगर में संचालित हो रहा है उसमें स्थानीय कुछ नए चेहरों ने जन्म लिया है जो नीचे से ऊपर तक सेटिंग की बात कहते फिर रहे है।और प्रति सप्ताह लाखों का कबाड़ अन्यंत्र खपाकर जल्द ही नगरसेठ बनने का ख्वाब देखते हुए उड़ान पर है। जिले में अवैध कबाड़ व्यवसाय पर धरपकड़ को लेकर एक बात सोचनीय है कि पुलिस ने जब भी कार्यवाही की अन्यंत्र खपाने ले जाते हुए वाहन में भरा कबाड़ ही पकड़ा जबकि उन कार्यवाही में कबाड़ के ठिकाने पर दबिश की कार्यवाही देखने सुनने को नही मिल पायी है। वहीं पुलिस द्वारा पकडे गए कबाड़ सामान का आसानी से बिल पेश कर कबाड़ियों द्वारा सुपुर्दनामा ले लिया जाता है।अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब जिले में कबाड़ के धंधे पर ही पूर्णतः रोक है फिर किस उपक्रम व संयंत्र से निविदा-नीलामी के रूप में स्क्रैब खरीदी किया जाता है। जिसका बिल पेश कर जब्त कबाड़ सुपुर्दनामे की औपचारिता निभाई जाती है...? यही कारण है कि संयंत्रों व खदानों में चोरी जैसी गतिविधियों पर विराम नही लग पा रहा है।


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