शनिवार, 16 नवंबर 2019

'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' मनाया गया

आज देश में राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जा रहा है।राष्ट्रीय प्रेस दिवस हर साल 16 नवंबर को मनाया जाता है। दरअसल प्रेस की आजादी की रक्षा के लिए प्रेस परिषद को 4 जुलाई 1966 को बनाया गया, लेकिन प्रेस परिषद ने 16 नंवबर 1966 को काम शुरू किया। इस वजह से हर साल 16 नंवबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। विश्व में आज करीब 50 देशों में प्रेस परिषद है। कुछ देशों में प्रेस परिषद को मीडिया परिषद भी कहा जाता है। परिषद का मकसद था- देश में प्रेस की आजादी को बचाए-बनाए रखने और पत्रकारिता के उच्च मापदंडों की रक्षा में मदद करना। आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि वह अपने उद्देश्यों में कितनी सफल हुई है? देश की मीडिया कितनी आजादी से काम कर पा रही है और पत्रकारिता अपने उद्देश्य और सिद्धान्तों में कितनी सफल हो रही है? क्या प्रेस परिषद ने मीडिया जगत में ऐसी प्रतिष्ठा, पहचान और विश्वसनीयता बनाई है कि कोई भी आघात लगते ही मीडिया उसके पास जाए? क्या ऐसे मौकों पर प्रेस परिषद ने उन्हें सम्बल देते हुए उनके साथ न्याय सुनिश्चित किया है? अथवा फिर वह एक और सरकारी विभाग ही साबित हुई? इन सवालों के जवाब में ही राष्ट्रीय प्रेस दिवस की प्रासंगिकता निहित है। उसी से पता चलेगा कि प्रेस दिवस किसके लिए मन रहा है?


1- पत्रकारिता आजादी से पहले एक मिशन थी। आजादी के बाद यह एक प्रोडक्शन बन गई। हाँ, बीच में आपातकाल के दौरान जब प्रेस पर सेंसर लगा था। तब पत्रकारिता एक बार फिर थोड़े समय के लिए भ्रष्टाचार मिटाओं अभियान को लेकर मिशन बन गई थी। धीरे-धीरे पत्रकारिता प्रोडक्शन से सेन्सेशन एवं सेन्सेशन से कमीशन बन गई है।


2- परंतु इन तमाम सामाजिक बुराइयों के लिए सिर्फ मीडिया को दोषी ठहराना उचित नहीं है। जब गाड़ी का एक पुर्जा टूटता है तो दूसरा पुर्जा भी टूट जाता है और धीरे-धीरे पूरी गाड़ी बेकार हो जाती है। समाज में कुछ ऐसी ही स्थिति लागू हो रही है। समाज में हमेशा बदलाव आता रहता है। विकल्प उत्पन्न होते रहते हैं। ऐसी अवस्था में समाज अमंजस की स्थिति में आ जाता है।


3- इस स्थिति में मीडिया समाज को नई दिशा देता है। मीडिया समाज को प्रभावित करता है, लेकिन कभी-कभी येन-केन प्रकारेण मीडिया समाज से प्रभावित होने लगता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर देश की बदलती पत्रकारिता का स्वागत है बशर्ते वह अपने मूल्यों और आदर्शों की सीमा-रेखा कायम रखें।


4- मीडिया को समाज का दर्पण एवं दीपक दोनों माना जाता है। इनमें जो समाचार मीडिया है, चाहे वे समाचारपत्र हो या समाचार चैनल, उन्हें मूलतः समाज का दर्पण माना जाता है। दर्पण का काम है समतल दर्पण का तरह काम करना ताकि वह समाज की हू-ब-हू तस्वीर समाज के सामने पेश कर सकें। परंतु कभी-कभी निहित स्वार्थों के कारण ये समाचार मीडिया समतल दर्पण का जगह उत्तल या अवतल दर्पण का तरह काम करने लग जाते हैं। इससे समाज की उल्टी, अवास्तविक, काल्पनिक एवं विकृत तस्वीर भी सामने आ जाती है।


5- दरअसल,प्रथम प्रेस आयोग ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श कायम करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की थी। परिणाम स्वरूप 4 जुलाई, 1966 को भारत में प्रेस परिषद की स्थापना की गई,जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना विधिवत कार्य शुरू किया। तब से प्रतिवर्ष 16 नवंबर को 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 'राष्ट्रीय प्रेस दिवस'पत्रकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से स्वयं को फिर से समर्पित करने का अवसर प्रदान करता है।


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