सोमवार, 11 नवंबर 2019

पुनर्विचार याचिका पर अलग-अलग राय

भारत चौहान


नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के संकेत दिए हैं। लेकिन कई दूसरे प्रमुख मुस्लिम नेताओं एवं संगठनों का कहना है कि इस विषय पर आगे अपील की जरूरत नहीं है। इस बहुचर्चित मामले पर शीर्ष अदालत का निर्णय आने के कुछ देर बाद ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव एवं वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि फैसला संतोषजनक नहीं है। आगे वकीलों के साथ एवं संगठन की कार्य समिति की बैठक में विचार-विमर्श करके पुनर्विचार याचिका पर फैसला होगा। उन्होंने यह भी कहा, ''ऐसा लगता है कि पुनर्विचार याचिका की जरूरत पड़ेगी।'' पर्सनल लॉ बोर्ड के इस रुख को एआईएमआईम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायलय के फैसले को ''तथ्यों पर विास की जीत'' करार दिया है । हैदराबाद के सांसद ने शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं । दूसरी तरफ, रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए शनिवार को कहा कि वह इस फैसले को चुनौती नहीं देगा। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा कि वह न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है। इसी तरह, उच्चतम न्यायालय में बाबरी मस्जिद की पैरोकारी कर रहे प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-ंिहद भी पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्ष में नहीं है। जमीयत से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''इस मामले में हमने पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी, लेकिन फैसला उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला दिया है। अब जमीयत की राय है कि इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने की जरूरत नहीं है।'' पुनर्विचार याचिका पर 'ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत' के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने या नहीं करने का निर्णय 'सावधानी के साथ' करना चाहिए। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी पुनर्विचार याचिका दायर करने के खिलाफ राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले को अब आगे नहीं बढाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की जरूरत नहीं है। देश के एक अन्य मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामींिहद के उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा कि पुनर्विचार याचिका पर पर्सनल लॉ बोर्ड जो भी फैसला करेगा, हम उसका समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा, ''इस फैसले से हम संतुष्ट नहीं है। हमें लगता है कि इंसाफ नहीं हुआ है। अब आगे पर्सनल लॉ बोर्ड जो भी फैसला करेगा, जमात-ए-इस्लामी उसका समर्थन करेगी।'' गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि नयी मस्जिद के निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया।


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