मंगलवार, 12 नवंबर 2019

भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा दिलाएंगे

बिलासपुर। नगर निगम बिलासपुर में टेंडर घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता सामने आ गया है। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत ठेकेदार द्वारा पेश सारे दस्तावेज की कापी मांगी है। उनका कहना है कि दस्तावेज हाथ लगते ही वे इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और दोषियों को सजा दिलाएंगे।


बता दें कि नगर निगम प्रशासन ने जोन क्रमांक 4 (अब 6) में 18 निर्माण कार्य के लिए 19 सितंबर 2019 को एक टेंडर निकाला था। 14 अक्टूबर टेंडर भरने की अंतिम तिथि थी। टेंडर में वार्ड क्रमांक 42 स्थित सामुदायिक भवन की रिपेयरिंग और पेंटिंग की प्राक्कलन राशि 4 लाख रुपए और वार्ड क्रमांक 43 स्थित सामुदायिक भवन सीनियर क्लब की रिपेयरिंग पेंटिंग की प्राक्कलन राशि 4 लाख रुपए थी। दोनों कार्यों के लिए ठेकेदार जितेंद्र कुमार ठाकुर, मयंक गुप्ता और अनिल मजुमदार ने टेंडर भरा था। 15 अक्टूबर को टेंडर खोला गया, जिसमें सबसे कम रेट वाले ठेकेदार जितेंद्र कुमार ठाकुर को दोनों कार्यों का ठेका मिल गया।


ठेकेदार अनिल मजुमदार ने नगर निगम आयुक्त को सौंपे शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि जितेंद्र कुमार ने ई-पंजीयन के दस्तावेज में कूटरचना की है। जितेंद्र कुमार ने (www.pwd.cg.nic.in) में 4 अक्टूबर 2014 को ई-पंजीयन कराया था। यह ई-पंजीयन 5 साल के लिए वैध था। इस हिसाब से ई-पंजीयन की वैधता तिथि 3 अक्टूबर 2019 को समाप्त हो गई थी। यानी कि जिस दिन टेंडर खोला गया, उस दिन जितेंद्र कुमार के ई-पंजीयन की वैधता तिथि समाप्त हो गई थी। अनिल मजुमदार का आरोप है कि जितेंद्र कुमार ने वैधता तिथि दिखाने के लिए ई-पंजीयन की तारीख में छेड़छाड़ की है। मसलन, उन्होंने 4 अक्टूबर 2014 की जगह 4 अक्टूबर 2015 दर्ज कर कंप्यूटराइज्ड कापी जमा की। इस तरह से कूटरचना कर जितेंद्र कुमार ने टेंडर हथिया लिया। मजुमदार की शिकायत के बाद भी नगर निगम के अफसर मामले की जांच करने में आनाकानी कर रहे हैं।


आरटीआई कार्यकर्ता मामले को कोर्ट में देंगे चुनौती


बस्तर बंधु समाचार पत्र के बिलासपुर संभाग प्रमुख व आरटीआई कार्यकर्ता मोबिन फारुकी ने नगर निगम बिलासपुर के जनसूचना अधिकारी के पास आरटीआई के तहत एक आवेदन लगाया है, जिसमें उन्होंने ठेकेदार जितेंद्र कुमार द्वारा ठेका पाने के लिए जमा किए गए सारे दस्तावेज की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी है। आरटीआई कार्यकर्ता फारुकी का कहना है कि ठेका देने में अफसर और ठेकेदार के बीच मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जब ई-पंजीयन की अवधि खत्म हो गई थी तो उसे टेंडर कैसे मिल गया। दस्तावेज मिलने के बाद वे मामले को हाईकोर्ट जाएंगे, जहां नगर निगम बिलासपुर और ठेकेदार को पक्षकार बनाया जाएगा। उनका कहना है कि यदि ठेकेदार ने फर्जीवाड़ा किया होगा, उसका ई-पंजीयन निरस्त कराने की मांग की जाएगी। टेंडर घोटाले में अफसरों के हाथ रंगे होंगे तो ऐसे भ्रष्ट अफसरों को सजा दिलाने की मांग की जाएगी।


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