शनिवार, 30 नवंबर 2019

आवास विकास मंडोला विहार में भ्रष्टाचार

उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के मंडोला विहार आवास योजना में फ्लाईओवर घोटाला


अविनाश श्रीवास्तव


गाजियाबाद। उत्तर-प्रदेश आवास विकास परिषद की मंडोला विहार आवासीय योजना में करीब 3 साल पहले आवास विकास परिषद के द्वारा एक पत्र दिया गया था। जिसमें गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाली मास्टर प्लान 2021 रोड के लिए मंडोला में दिल्ली-सहारनपुर रोड को पार करने के लिए फ्लाईओवर का निर्माण करने की बात कही गई थी। इस रोड एवं फ्लाईओवर को बनाने का उद्देश्य गाजियाबाद से दिल्ली जाने वालों के लिए आवागमन की सुगम सुविधा उपलब्ध कराना था। मास्टर प्लान रोड एवं इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य गाजियाबाद के विकास कार्यों की सर्वोच्च प्राथमिकता मे थी।
अब से 3 साल पहले फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू हुआ, निर्माण शुरू होने के करीब 1 वर्ष बाद पांच परिवारों को पत्र दिया गया कि यह फ्लाईओवर उनकी आबादी जमीन और मकान के ऊपर से जाएगा। जबकि मास्टर प्लान 2021 के नक्शे में यह फ्लाईओवर दिल्ली-सहारनपुर रोड को बिल्कुल सीधा क्रॉस कर रहा है। परंतु भ्रष्टाचारी अधिकारियों के द्वारा इस फ्लाईओवर को खतरनाक अंग्रेजी के एस के आकार का मोड़ देकर 5,6अन्य परिवारों के मकान दुकान और आबादी से प्रभावित भूमि जिसमें करीब 100 से अधिक पेड़ों को उजाड़ कर और इनके  ऊपर से बनाने का पत्र संबंधित किसानों को दिया गया। इसके जवाब में संबंधित परिवारों ने संबंधित अधिकारियों को पत्राचार के माध्यम से जवाब दिया। जिस के क्रम में गाजियाबाद जिलाधिकारी के निर्देशानुसार उपजिलाधिकारी लोनी के साथ सभी प्रभावित परिवारों आवास विकास परिषद व राज्य सेतु निगम के उच्चाधिकारियों के साथ लोनी तहसील सभागार में एक मीटिंग हुई।
 इस मीटिंग में प्रभावित परिवारों के द्वारा सवाल जवाब करने पर राज्य सेतु निगम और आवास विकास के परिषद के अधिकारी कोई संतुष्टि जनक जवाब नहीं दे सके एवं अपने आप को फंसता हुआ, देखकर एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे। उनकी हालत को देखकर उपजिलाधिकारी से पीड़ित किसानों ने स्वयं मौके पर जाकर निरीक्षण करने के लिए कहा। जिसमें अगले ही दिन उप जिलाधिकारी लोनी के द्वारा संबंधित निर्माणाधीन फ्लाईओवर का निरीक्षण किया गया एवं मौके पर इसे बेहद खतरनाक व भविष्य में जनहित के लिए गंभीर बताया परंतु एक महीने बाद उप जिलाधिकारी लोनी के द्वारा अपना बचाव करते हुए पटवारी महोदय से जो सर्वे रिपोर्ट कराई गई थी। उसी के आधार पर इस गंभीर समस्या का निस्तारण करने का प्रयास किया गया। जिसके बारे में जिलाधिकारी गाजियाबाद और पीड़ित परिवारों को अवगत करा दिया गया। इसके जवाब में पीड़ित परिवारों ने अपना जवाब जिलाधिकारी एवं उप जिलाधिकारी महोदय को कार्यालय में उपस्थित होकर अवगत कराया। जिसके जवाब में आवास विकास परिषद या प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा आज तक किसी प्रकार की कोई सूचना या कार्यवाही नहीं हुई है एवं तभी से इस फ्लाईओवर का निर्माण कार्य बंद है। निर्माण कार्य करने वाली राज्य सेतु निगम अपना बोरिया बिस्तर सामान उठाकर कभी का जा चुकी है निर्माण स्थल पर पढ़ा हुआ, करोड़ों का सामान जंग लगकर खराब हो चुका है।
 ₹53 करोड के इस घोटाले में ना तो कोई जनप्रतिनिधि ना ही कोई संबंधित अधिकारी और ना ही सत्ताधारी पार्टी का कोई कार्यकर्ता  जवाब देने के लिए तैयार है। 
अतः सभी जनप्रतिनिधियों नेताओं अधिकारियों एवं पत्रकार बंधुओं से निवेदन है कि जनहित के लिए इस फ्लाईओवर के संबंध में आवास विकास परिषद एवं संबंधित अधिकारियों से सिर्फ 2 सवाल पूछ ले। 
कि 
( 2 )जब मास्टर प्लान 2021 रोड का कहीं अता पता नहीं है तो अब से 3 साल पहले बिना किसानों की जमीन का अधिग्रहण किये मुआवजा दिए जमीन पर कब्जा लिए इस फ्लाईओवर को बनाने की शुरुआत क्यों की गई???
 ( 2 )जब 2 परिवारों की जमीन लेकर उन्हें मुआवजा या अन्यत्र जमीन देकर यह फ्लाईओवर सीधा बन सकता है तो फिर पांच अन्य परिवारों की जमीन लेकर उनके मकान दुकान और 100 से अधिक पेड़ उजाड़ कर इस फ्लाईओवर को खतरनाक अंग्रेजी के एस के आकार का क्यों बनाया जा रहा है।
अगर भविष्य में यह फ्लाईओवर इसी आकार में बना तो यह फ्लाईओवर मौत का फ्लाईओवर कहलाया जाएगा।


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