मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

नहीं जलेगा बाबा 'रावण' का पुतला

ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव में है रावण की जन्मस्थली, जानिए तांत्रिक चंद्रास्वामी ने यहां क्या किया 



गौतमबुध नगर। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव को लंकापति रावण की जन्मस्थली माना जाता है। गांव में पहले रामलीला का मंचन नहीं होता था। रावण के पुतले का दहन तो आजतक नहीं हुआ है। लोगों का कहना है कि जब भी ग्रामीणों ने रावण के पुतले का दहन किया या करने का प्रयास किया तो गांव में कोई बड़ी दुर्घटना या अपशकुन हो गया। गांव के लोग रावण को बाबा कहते हैं।


गांव के लोग भगवान राम को आदर्श मानकर उनकी पूजा तो करते हैं लेकिन रावण को भी गलत नहीं मानते हैं। यही कारण है कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयदशमी पर्व बिसरख गांव में हर्षोल्लास से नहीं मनाया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि पहले तो विजयदशमी के मौके पर गांव में मातम जैसा माहौल रहता था। समय के साथ अब लोगों की सोच में बदलाव आया है। हालांकि, लोगों को न तो अब रामलीला के मंचन से परहेज है और न रावण दहन से कोई गुरेज है। देश-दुनिया में रावण को लेकर जो अवधारणा लोगों में है, वही बिसरख गांव के लोगों की भी है।


मान्यता है कि बिसरख में हुआ था रावण का जन्म -


बिसरख को रावण की जन्मस्थली माना जाता है। मान्यता है कि गांव में अष्टभुजाधारी शिवलिंग की स्थापना रावण के पिता महर्षि विश्रवा ने की थी। पुराणों में भी इसका उल्लेख है। इसी शिवलिंग के पास बैठकर उन्होंने घोर तपस्या की थी। इसके बाद ही रावण का जन्म हुआ। ऋषि विश्रवा के नाम पर ही गांव का नाम बिसरख पड़ा। अष्ठभुजाधारी मंदिर के पुजारी का कहना है कि ऐसा शिवलिंग किसी मंदिर में नहीं है। चर्चित तांत्रिक चंद्रास्वामी ने 1984 में मंदिर की खुदाई करवाई थी। 20 फीट तक खुदाई के बाद भी शिवलिंग का छोर नहीं मिला था। खुदाई के दौरान चंद्रास्वामी को 24 मुख का शंख मिला था। जिसे वह अपने साथ ले गया था। मंदिर के पास ही एक सुरंग मिली थी, जो थोड़ी दूर खंडरों में जाकर समाप्त हो गई। अब भी यह सुरंग मंदिर के पास बनी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी एक बार शिव मंदिर पर आकर पूजा अर्चना कर चुके हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मंदिर पर पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।


मन्दिर के पुजारी महंत रामदास की मानें तो बिसरख के इसी मंदिर पर ऋषि विश्रवा ने घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने खुश होकर ऋषि विश्रवा को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। इसके बाद रावण का जन्म हुआ। आगे चलकर रावण भी भगवान शिव के बड़े तपस्वी बने। रावण की अपार शक्ति और ज्ञान शिव की तपस्या से ही प्राप्त हुआ था।


गांव के चारों ओर बस चुका है शहर:- बिसरख गांव कभी हिंडन नदी के किनारे और चारों ओर जंगल से घिरा था। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने यहां उद्योग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण किया था। लेकिन वर्ष 2009 में भूमि उपयोग में परिवर्तन करके ग्रेटर नोएडा वेस्ट के रूप में नया शहर बसाने की प्रक्रिया शुरू की गई। अब बिसरख गांव चारों ओर ऊंची-ऊंची हाउसिंग सोसायटियों से घिर चुका है। गांव का भी पूरी तरह कायाकल्प हो चुका है। रावण के मंदिर का भी नए सिरे से जीर्णोद्धार किया गया है ।


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