शनिवार, 19 अक्तूबर 2019

बोकड़े को चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश

नई दिल्ली। भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले सुनाए हैं। वहीं अपने रिटारमेंट से पहले राम मंदिर का मामला भी सुलझाना चाहते हैं। 
रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपना पदभार संभाला और आगामी 17 नवंबर को वो सेवानिवृत होंगे। जिसके बाद देश के नए मुख्य न्यायधीश को लेकर चर्चा जारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जस्टिस शरद अरविंद बोबडे को अगला चीफ जस्टिस बनाने की केंद्र सरकार से सिफारिश की है। प्रक्रिया के अनुसार, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ही अगले चीफ जस्टिस की सिफारिश करता है।
कौन हैं शरद अरविंद बोबडे
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर उन्होंने 12 अप्रैल, 2013 को कार्यभार संभाला है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद जस्टिस बोबडे ही सबसे वरिष्ठ जज हैं। जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रें स की, तो कॉन्फ्रें स के बाद बार काउंसिल ने जस्टिस चेलमेश्वर से बात करने के लिए जस्टिस बोबडे से ही बात की थी।
जस्टिस बोबडे के कुछ बड़े फैसले 
जस्टिस शरद बोबडे उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने आदेश दिया कि आधार कार्ड न रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता। मई, 2018 में जब कर्नाटक में चुनाव हुए और किसी को बहुमत नहीं मिला, तो राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए बुलाया. कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. रात 2 बजे से सुनवाई शुरू हुई और फैसला येदियुरप्पा के पक्ष में आया, येदियुरप्पा के पक्ष में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन को लेकर जो फैसला दिया था, उस फैसले वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे।


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