शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

आदित्य ने किया नामांकन, शक्ति-प्रदर्शन

(फडणवीस ने फोन कर दिया आशीर्वाद)
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के परिवार के किसी सदस्य द्वारा चुनाव न लड़ने की परंपरा को तोड़ते हुए उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने आज गुरुवार को नामांकन पत्र भरा। मुंबई की वर्ली सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन से पहले आदित्य ठाकरे ने रोड शो किया। रोड शो के दौरान शिवसेना कार्यकर्ता काफी जोश में दिखे। जगह-जगह फूल बरसाकर आदित्य ठाकरे का स्वागत किया गया। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सुबह फोन कर आदित्य ठाकरे को आशीर्वाद दिया। उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आदित्य ठाकरे को समर्थन के लिए जनता का शुक्रिया किया। उन्होंने कहा, 'जनता की सेवा करने हमारे परिवार की परंपरा है। नई पीढ़ी, नई सोच के साथ आई है और मैं जनता के समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं। मैं वचन देता हूं कि जनता जब भी बुलाएगी तब आदित्य हाजिर होंगे।' हालांकि इस दौरान एक सवाल के जवाब में उद्धव ने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।
ज्ञात हो कि दिवंगत बाल ठाकरे द्वारा 1966 में शिवसेना की स्थापना किए जाने के बाद से ठाकरे परिवार से किसी भी सदस्य ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है या वे किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं रहे है। उद्धव के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने 2014 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा जताई थी। हालांकि उन्होंने बाद में अपना मन बदल लिया था। ऐसे में ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने वाले आदित्य पहले सदस्य बन गए हैं।
शिवसेना के मौजूदा विधायक सुनील शिंदे आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली सीट छोड़ेंगे। आदित्य ने कहा, मैं सिर्फ वर्ली नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए काम करूंगा, मुझे जीत का भरोसा है क्योंकि आप सभी का आशीर्वाद मेरे साथ है। आदित्य ठाकरे ने कहा, 'राजनीति से बहुत से लोगों का भला किया जा सकता है। पूरे महाराष्ट्र को घूमकर मैंने समझा है कि आगे कैसा काम करना है। जिनकी आवाज हम तक नहीं पहुंच पा रही है, उनकी आवाज जनता हम तक पहुंचाए।' इससे पहले शिवसेना की यूथ विंग 'युवा सेना' के चीफ आदित्य ने कहा था कि सक्रिय राजनीति में आने का फैसला बहुत बड़ा है लेकिन मुझे भरोसा है कि आप लोग मुझे संभाल लेंगे। मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर आदित्य ने कहा कि वह आम आदमी हैं और जनता आगे जो फैसला करेगी, वह वही करेंगे।
मालूम हो कि सीटों के बंटवारे को लेकर हुए विवाद के बाद 2014 का विधानसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग लड़ा था। भाजपा ने 260 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे 122 सीटों पर जीत मिली थी जबकि शिवसेना ने 282 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 63 सीटें मिली थी।


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