शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

सेवानिवृत्ति के बाद सुना सकते हैं फैसला

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर से पहले पूरी करने को कहा है। चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि अगर मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी नहीं हुई, तो इस पर फैसला देने का चांस खत्म हो जाएगा।दरअसल, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायमूर्तियों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई कर रही है और चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। कार्यकाल खत्म होने के बाद रंजन गोगोई न तो मामले की सुनवाई कर पाएंगे और न ही फैसला सुना पाएंगे। लिहाजा वो चाहते हैं कि मामले पर फैसला उनके रिटायर होने से पहले ही हो जाए।


अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि अगर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई लंबी खिंचती है, तो मामले पर फैसला कौन सुनाएगा? क्या इस मामले की सुनवाई करने और फैसला सुनाने के लिए रंजन गोगोई का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है?


रिटायर होने के बाद भी फैसला सुना सकते हैं रंजन गोगोई


इस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जितेंद्र मोहन शर्मा और सीनियर एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि अभी तक सुप्रीम कोर्ट के किसी भी न्यायमूर्ति का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया है।हालांकि संविधान के अनुच्छेद 128 में प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति की सहमति से रिटायर न्यायमूर्ति को किसी मामले की सुनवाई करने का अधिकार दिया जा सकता है, लेकिन ऐसे न्यायमूर्ति को सुप्रीम कोर्ट के दूसरे न्यायमूर्तियों की तरह अन्य मामलों की सुनवाई करने का अधिकार नहीं होगा।इसका मतलब यह हुआ कि अगर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई लंबी चलती है, तो राष्ट्रपति की सहमति से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई आगे भी मामले की सुनवाई कर सकते हैं।


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