पुलिस प्रशासन,परिवहन विभाग अभियानों की शुरुआत तो करता है लेकिन कुछ आंदोलनों के सामने फीका पड़ जाता
तस्लीम बेनकाब
मुजफ्फरनगर। सरकार द्वारा जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत जनपद मुजफ्फरनगर को भी सम्मिलित किया गया था तो उस वक्त बड़ी उम्मीद और आशाएं बनी थी तथा दावे प्रति दावे भी किए गए थे मुजफ्फरनगर को वह सभी सुविधाएं विकास आदि उपलब्ध कराए जाएंगे जो एनसीआर के तहत अन्य जिलों को मिल रहे हैं लेकिन उस समय सब कुछ ठीक-ठाक तरीके से चला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम पर जनपद मुजफ्फरनगर में जबरदस्त वाहन चेकिंग अभियान चला था जिस पर दस साल के पुराने डीजल के वहांन वह पंद्रह साल पुराने पेट्रोल के वाहनों के खिलाफ एआरटीओ एवं पुलिस प्रशासन द्वारा गतिशील तरीके से अभियान चलाया गया था ओर काफी गाड़ियों को बंद किया गया था लेकिन अब धीरे-धीरे यह अभियान भी मंद होता चला गया आज स्थिति यह है कि 10 साल तथा 15 साल पुराने वाहन सड़कों पर पूरी गति के साथ बिना किसी रोक-टोक के दौड़ रहे हैं एनसीआर का कुछ भी फायदा जिले को नहीं हुआ है जबकि आशाओं और उम्मीदों में पूरे पुलिंदा बांधे गए थे आज हालात यह है कि कहीं दूर तक भी ऐसा कुछ नजर नहीं आता कि जनपद मुजफ्फरनगर जिला एनसीआर में शामिल होकर कुछ स्पेशल सुविधाएं विकास या उन्नति पा रहा हो। पहले की भांति ही सब कुछ चल रहा है बदला है तो केवल यह नाम की जिला एनसीआर में शामिल है जबकि शामिल होने के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है आखिर ऐसा क्यों बहुत से ऐसे सवाल हैं जिन पर चिंतन एवं मंथन किया जा सकता है नए-नए यातायात संबंधी नियम बनाए जा रहे हैं तथा उनको लागू भी किया जा रहा है फिर ऐसा क्या कारण है कि सड़कों पर 10 साल तथा 15 साल पुराने वाहनों की गति पर कोई रोक नहीं लग पा रही है पुलिस प्रशासन द्वारा जो अभियान चलाया गया था वह भी किसानों के आगे दब कर रह गया क्योंकि उस वक्त टैक्टर तथा रेल के पुराने इंजन पुरानी जिप्सी सरकारी गाड़ियों को लेकर किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने यह भी मांग रखी थी कि पहले इन वाहनों पर रोक लगे उसके बाद दूसरे वाहनों को रोका जाए इस पर आंदोलन भी हुए ट्रेन के इंजन सरकारी गाड़ियां बंधक बनाई गई धरना प्रदर्शन हुए इसके बाद यह अभियान धीरे-धीरे मंद होता चला गया जिसका नतीजा यह रहा कि आज के समय में इस अभियान के कहीं कोई सार्थकता किसी को कहीं नजर नहीं आ रही है यातायात नियमों के प्रति सचेत किया जाता है जागरूक किया जाता है लेकिन सड़कों पर अवैध रूप से चल रहे हैं वाहनों की संख्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है उदाहरण के तौर पर 10 साल और 15 साल पुराने यदि वाहनों को रोका जाए तो सड़कों पर लोड काफी कम होगा तथा यातायात के नियम भी प्रभावी रूप से सार्थक होते नजर आएंगे तथा दिन प्रतिदिन दूषित हो रहा पर्यावरण भी काफी हद तक सुधरेगा प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी लेकिन इस संदर्भ में अभी तक कोई भी ठोस एवं प्रभारी कदम नहीं उठाए गए हैं पुलिस प्रशासन एआरटीओ विभाग अभियानों की शुरुआत तो करता है लेकिन कुछ आंदोलनों के सामने फीका पड़ जाता है जिसका परिणाम यह रहता है कि ऐसे अभियान अंत में शून्य ही बनकर रह जाते हैं जैसा कि अक्सर होता आया है बेहतर हो कि पुलिस प्रशासन एवं परिवहन विभाग मिलकर एक बार पुनः मजबूती के साथ ऐसे अभियान को पुनः चलाएं ताकि सड़कों पर दबाव कम हो प्रदूषण कम हो और यातायात के नियम भी प्रभावी हो सके तो इसके लिए अति आवश्यक है कि ऐसे अभियानों को हर हाल में चलाया जाना चाहिए तथा सरकार इस मसले पर गंभीरता दिखाए आंदोलन कर्मियों को भी इस बारे में अवगत कराएं उनकी बातों को सुनें तथा समझाए की ऐसे अभियान जनता के लिए कितने सार्थक हैं जो मसले विवादित हैं उन पर मिल बैठकर बात भी की जा सकती है लेकिन यह कोई औचित्य नहीं है कि जरा से दबाव में आकर पूरे अभियान को ठुश करके रख दिया जाए स्थानीय प्रशासन तभी द्रढ़ इच्छाशक्ति दिखाता है जब पीछे से शासन सत्ता और सरकार सहयोग प्रदान करें।
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