सोमवार, 2 सितंबर 2019

लैंडर्स को छोड़नी पड़ेगी बड़ी रकम

देविना सेनगुप्ता


मुंबई। रिलायंस कॉम्युनिकेशंस और इसकी दो यूनिट के स्पेक्ट्रम और टावर्स सहित ऐसेट्स से 9,000-10,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इससे कंपनी के फाइनैंशल लेंडर्स (बैंकों) को अपनी बकाया रकम का बड़ा हिस्सा छोड़ना पड़ सकता है। बैंकों ने 49,000 करोड़ रुपये का कुल क्लेम किया है। 


इस डिवेलपमेंट की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, 'शुरुआती वैल्यूएशन से पता चलता है कि अगर इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग अगले कुछ महीनों में पूरी हो जाती है तो ऐसेट्स से 9,000-10,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। टेलिकॉम कंपनी के ऐसेट्स, विशेषतौर पर स्पेक्ट्रम की वैल्यू समय के साथ घट जाती है। बिक्री की सफलता के लिए सभी अप्रूवल होने चाहिए।' 


आरकॉम और इसकी दो यूनिट्स के ऐसेट्स में देश के 22 में से 14 टेलिकॉम सर्कल में 850 MHz बैंड में स्पेक्ट्रम, लगभग 43,000 टेलिकॉम टावर शामिल हैं। इनमें रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, ATC टेलिकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर, एसेट केयर ऐंड रिकंस्ट्रक्शन एंटरप्राइज जैसी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। 


53 फाइनैंशल लेंडर्स ने लगभग 57,382 करोड़ रुपये का क्लेम किया था। इसमें से आरकॉम की रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल डेलॉयट ने 49,000 करोड़ रुपये से कुछ अधिक की पुष्टि की है। आरकॉम पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के करीब 4,800 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा के लगभग 2,500 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक के 1,225 करोड़ रुपये, पंजाब नैशनल बैंक के लगभग 1,127 करोड़ रुपये बकाया हैं। कंपनी के विदेशी लेंडर्स में चाइना डिवेलपमेंट बैंक की सबसे अधिक 9,900 करोड़ रुपये की रकम फंसी है। 


एक अन्य सूत्र ने कहा कि रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अक्टूबर के मध्य तक इनसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग समाप्त करने की कोशिश में हैं। इस बारे में ईटी की ओर से भेजे गए प्रश्नों का डेलॉयट ने उत्तर नहीं दिया। सूत्रों ने बताया कि दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों ने ऐसेट्स का ड्यू डिलिजेंस शुरू कर दिया है। हालांकि, आरकॉम के सबसे कीमती एसेट स्पेक्ट्रम के कारण मुश्किलें हो सकती हैं। आरकॉम और टेलिकॉम डिपार्टमेंट के बीच स्पेक्ट्रम के मालिकाना हक को लेकर नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल में मामला चल रहा है। 


सरकार चाहती है कि आरकॉम स्पेक्ट्रम वापस करेगी। सरकार का कहना है कि स्पेक्ट्रम एक राष्ट्रीय संपत्ति है और कंपनी के बकाया रकम न चुकाने के कारण वह इसे रखने की हकदार नहीं है। हालांकि, आरकॉम की दलील है कि स्पेक्ट्रम नीलामी में खरीदा गया है और अभी इसी वैधता की अवधि जारी है और इस वजह से उसके पास ऐसे बेचकर फाइनैंशल लेंडर्स की रकम चुकाने का अधिकार है। आरकॉम का स्पेक्ट्रम जुलाई 2021 तक वैध है। इसकी बिक्री में और देरी से वैल्यू घट जाएगी। 


इससे पहले आरकॉम ने रिलायंस जियो को अपने वायरलेस ऐसेट्स बेचने की कोशिश की थी, लेकिन टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने इस डील के लिए अनुमति नहीं दी थी। बैंकों के अलावा टावर कंपनियों, इक्विपमेंट वेंडर्स जैसे ऑपरेशनल क्रेडिटर्स की भी आरकॉम पर रकम बकाया है।


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