जगदलपुर। दंतेवाड़ा जिले के अंतर्गत बैलाडिला लौह अयस्क परियोजना से बहते हुए लाल पानी से क्षेत्र के ग्रामीणों के सैकड़ों मवेशी इस समय तक काल कलवित हो चुके हैं और इलाके के ग्रामीणों को इन मृत मवेशियों का मुआवजा तक नहीं मिल सका है।
इस साल भी नदी किनारे बसे दर्जनभर गांव के करीब 1500 मवेशी लाल पानी की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं। इसकी शिकायत ग्रामीण पशु चिकित्सा विभाग के साथ पटवारी से कर चुके हैं, परंतु अब तक कोई भी सरकारी नुमाइंदा या जिम्मेदार व्यक्ति इन गांवों तक नुकसान के आंकलन के लिए नहीं पहुंचा है। अंतत: तंग आकर ग्रामीणों ने मृत मवेशियों को अपने खेतों में ही गाड़ दिया है।
क्षेत्र के कमकानार गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि कमकानार पंचायत में ही करीब 800 गाय, भैंस और बकरियों की मौत हो गई है। कमकानार गांव में ही 200 गाय, 100 सुअर और 60 बकरी या तो नदी में बह गए या फिर लाल पानी पीकर मारे गए हैं। इसी प्रकार की स्थिति पूरे क्षेत्र के चिन्नाजोजेर गांव में 188 गाय, 90 भैंस और 175 बकरियों की मौत लाल पानी पीने की वजह से हो चुकी है। समूचे बीजापुर क्षेत्र के बेरूदी नदी के तट पर बसे गांव पूसनार, गोंगला, कमकानार, चिन्नाजोजेर, रेड्डी, जारगोया, कोटेर, पदमूर, बुरजी, हिरोली, छोटे हिरोली, डूमिरपालनार, चेरपाल, पदेड़ा, कड़ेनार, भोगामगुड़ा, चेरकंटी, कैयका, कडेर, कचिलवाड़, मोसला, पेद्दाकोड़ेपाल, कोइटपाल और कोमला आदि गांवों के लोगों को इस लाल पानी से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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