शनिवार, 28 सितंबर 2019

गिरते पानी में किसानों के आंसू भी शामिल

ढहे आशियानों पर अन्नदाता बहा रहे बेबसी के आंसू
ये महज आकाश से गिरता पानी नही है। गौर से देखो इसमें किसानों के आंसू शामिल है
प्रतापगढ़। जलविप्लव का ऐसा नजारा और मंजर कि मुफलिसी में पेट काटकर आशियाने की छत तैयार करने वाले किसानों पर कुदरत का कहर इस कदर बरसा है कि उनके आशियाने उजड़ गए। बच्चो की पढ़ाई कराने या फिर बेटी की शादी के सपनो का अरमान उनके मन मे ही आशियाने के साथ ढह गया जब उनके अरमानो की बुनियाद ही दरक गई तो फिर उम्मीद की इमारत कहा टिके यही सोच-सोच कर अन्नदाता बस बेबसी के आंसू बहाने पर मजबूर है।
बुधवार की रात से ही लगातार हो रही बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। शुक्रवार की शाम को बरसात थोड़ी देर के लिए बरसात एक्सप्रेस की रफ्तार थोड़ी देर के लिए थम जरूर गई। लेकिन बादलों ने ऐसा डेरा जमाया कि शनिवार की सुबह फिर मूसलाधार बारिश ने रफ्तार पकड़ ली। उमरडीहा गांव के रहने वाले पन्नालाल अच्छेलाल और उनके दो भाइयों के मकान इस कदर धराशाई हो गए। सभी बरसात में खुले आसमान के नीचे आ गए। उनके आंसुओं का सैलाब देखकर दर्द और बेबसी और पीड़ा को सिर्फ एक किसान ही समझ सकता है। गनीमत यह रही कि उन्होंने किसी तरह नजदीक के  प्राथमिक विद्यालय में छोटे-छोटे बच्चों और महिलाओं के साथ पूरा कुनबा प्राथमिक विद्यालय में डेरा जमा लिया है। लेकिन बारिश ने अपना कहर इस तरह बरपाया है की प्राथमिक विद्यालय मे पानी भर आया है। इसी तरह रेडीगारापुर गांव के महावीर यादव और लाल बहादुर यादव सहित आधा दर्जन किसानों के आशियाने मूसलाधार बारिश में बह गए। जिससे सभी किसान परेशान और लाचार दिखाई दे रहे हैं। हालांकि वे प्रशासन की तरफ से उम्मीद भरी नजरों से निहार रहे हैंं। लेकिन प्रशासन की कार्यशैली और कच्छप चाल और मदद के नाम पर घोषणाओं के अलावा त्वरित मदद कहा मिलने वाली हैै। कमोबेश यही हाल पट्टी तहसील के किसानों के आशियाने के साथ उनके अरमान और उम्मीद ढह चुके है।
मनोज यादव-संवाददाता


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