शनिवार, 7 सितंबर 2019

'बाघ' के सफेद होने का कारण

सफ़ेद बाघ (व्हाइट टाइगर) एक ऐसा बाघ है जिसका प्रतिसारी पित्रैक (रिसेसिव पित्रैक) इसे हल्का रंग प्रदान करता है। एक अन्य आनुवंशिक अभिलक्षण बाघ की धारियों को बहुत हल्का रंग प्रदान करता है। इस प्रकार के सफ़ेद बाघ को बर्फ-सा सफ़ेद या "शुद्ध सफे़द" कहते हैं। सफ़ेद बाघ विवर्ण नहीं होते हैं और इनकी कोई अलग उप-प्रजाति नहीं है और इनका संयोग नारंगी रंग के बाघों के साथ हो सकता है। हालांकि (लगभग) इस संयोग के परिणामस्वरूप जन्म ग्रहण करने वाले शावकों में से आधे शावक प्रतिसारी सफ़ेद पित्रैक की वजह से विषमयुग्मजी हो सकते हैं और इनके रोएं नारंगी रंग के हो सकते हैं। इसमें एकमात्र अपवाद तभी संभव है जब खुद नारंगी रंग वाले माता-पिता पहले से ही एक विषमयुग्मजी बाघ हो, जिससे प्रत्येक शावक को या तो दोहरा प्रतिसारी सफ़ेद या विषमयुग्मजी नारंगी रंग के होने का 50 प्रतिशत अवसर मिलेगा! अगर दो विषमयुग्मजी बाघों या विषमयुग्मजों का संयोग होता है तो उनसे जन्मे शावकों में से 25 प्रतिशत शावक सफ़ेद, 50 प्रतिशत विषमयुग्मजी नारंगी (सफ़ेद पित्रैक वाहक) और 25 प्रतिशत सफ़ेद पित्रैक विहीन समयुग्मजी नारंगी रंग के होंगे! 1970 के दशक में शशि और रवि नामक नारंगी रंग के विषमयुग्मजी बाघों की एक जोड़ी ने अलीपुर चिड़ियाघर में 13 शावकों को जन्म दिया जिसमें से 3 सफ़ेद रंग के थे। अगर दो सफ़ेद बाघों का संयोग कराया जाता है तो उनके सभी शावक समयुग्मजी और सफ़ेद रंग के होंगे! सफ़ेद पित्रैक वाला एक समयुग्मजी बाघ कई विभिन्न पित्रैकों की वजह से विषमयुग्मजी या समयुग्मजी भी हो सकता है। एक बाघ विषमयुग्मजी (विषमयुग्मज) है या समयुग्मजी (समयुग्मज), यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस पित्रैक पर चर्चा की जा रही है। अन्तःसंयोग समयुग्मता को बढ़ावा देता है जिसका इस्तेमाल सफ़ेद बाघ पैदा करने में किया जाता है।


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