मथुरा का पेड़ा
एक भारतीय मिठाई है जिसका उद्भव मथुरा शहर से हुआ है। मावा या खोआ से बनी मिठाइयाँ उत्तर भारत मे बहुत लोकप्रिय हैं तथा पेड़ा मावे से बनने वाली मिठाई है। भारत मे मथुरा के पेड़े इस कदर प्रसिद्ध हैं कि यह शब्द भाषा मे अलंकार के रूप मे प्रयुक्त होता है जैसे कि "मथुरा का पेड़ा औ छत्तीसगढ़ का खेड़ा"। पेड़े के लिए मथुरा एक ट्रेडमार्क है। मथुरा भ्रमण के दौरान मथुरा के पेड़े, मेवा वाटी पेड़े व निर्यात क्वालिटी के पेड़े आगंतुकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।
जन्माष्टमी भोग
कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में पेड़ा लोकप्रिय प्रसाद है।. पेड़े को ताजे मावे, दूध, चीनी व घी में सुवास हेतु कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर बनाया जाता है। भारत में जन्माष्टमी की छुट्टियाँ पेड़े के स्वाद के बिना अधूरी मानी जाती हैं। हर साल जन्माष्टमी पर पेड़े बनते हैं जिनसे भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है तथा व्रत खंडन पेड़े से ही किया जाता है।
सार्वभौमिक प्रसिद्धि
मथुरा के अलावा अन्य भारतीय पर्यटन शहरों में भी मथुरा के पेड़े, आगरा का पेठा व मनेर के लड्डू पर्यटकों में खासे लोकप्रिय व्यंजन हैं।
लोकगायन रस
भारतीय लोक गायन में भी मथुरा के पेड़ों का स्वाद देखने को मिलता है। "मथुरा के पेड़े मोहे लावे, खिलावे जी......." संद पूजन गीत के रूप में अति लोकप्रिय है।
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