पथरी । छत्तीसगढ़ के देहाती क्षेत्र अभी भी मुख्यधारा से पिछड़े हुए हैं। नगर और महानगरों में होने वाले आयोजनों में उनकी अपेक्षा की जाती है। जिसकी वजह से प्रतिभावान छात्र एवं युवक सिमट कर रह जाते हैं। ठीक इसी प्रकार गांव-देहात के शिक्षकों को कोई महत्व नहीं जाता है। जब भी ब्लॉक स्तर पर या जिला स्तर पर कोई भी आयोजन रखा जाता हैं, तो शहरी क्षेत्रो के स्कूल-विधालयो को आयोजन का निमंत्रण और दायित्व देते हैं। गाँव के बच्चे और शिक्षक अपना समान लेकर, अपनी स्वयं की व्यवस्था पर आते है। प्रदर्शन करते हैं,उनके बच्चे यदि प्रथम या द्वितीय नहीं आते तो उन्हें सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जाता है। अपना रुपय खर्च करके माडल बनाते हैं। दिन भर आयोजन स्थल पर प्रदर्शन करते हैं। उसके बाद भी बच्चों की मेहनत पर ध्यान नही दिया जाता है। कम से कम सर्टिफिकेट का हक तो मिलना चाहिए। बच्चों के लिए शहरों में बडे़-बडे़ आॅडिटोरियम बनाये गये है।गाँव के स्कूल में कन्ही भी आडिटोरियम नहीं है। फिर भी बाहर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। गाँव के स्कूल के बच्चे, गाँव की तीन बालिकाओं ने पंजाब में करामतशोगी डो कराते में छग को तिसरा स्थान दिलवाया हैं। पथरी की तीन बालिकाओं को सिल्वर मैडल प्राप्त हुआ है।
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