बुधवार, 14 अगस्त 2019

धारा 370 की सच्चाई समझनी चाहिए

अनुच्छेद 370 में बदलाव का असर तो जम्मू और लद्दाख में भी हुआ। 
लेकिन सख्ती कश्मीर घाटी में ही क्यों करनी पड़ रही है?
राष्ट्रभक्त लोगों को इस सच्चाई को समझना होगा। 

अनुच्छेद 370 में जो बदलाव किया हैं उसका असर जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में भी पड़ा है। अब जम्मू और लद्दाख में तो हालात सामान्य हो गए हैं। लद्दाख में जश्न जैसा माहौल है 370 की वजह से सबसे ज्यादा अत्याचार लद्दाख के लोगों पर ही हुआ था। सवाल उठता है कि जब जम्मू और लद्दाख में हालात सामान्य हो सकते हैं तो कश्मीर घाटी में क्यों नहीं? ऐसा नहीं कि जम्मू और लद्दाख में मुसलमान नहीं रहते। जम्मू और लद्दाख में भी हिन्दुओं और बौद्धधर्म को मानने वाले लोगों के साथ मुसलमान भी रहते हैं। लेकिन इन इलाकों में शांति बनी हुई है। जिन देशद्रोहियों को कश्मीर घाटी के हालात असामान्य लगते हैं, वे जम्मू और लद्दाख का दौरा क्यों नहीं करते? क्या जम्मू और लद्दाख, जम्मू-कश्मीर प्रांत के हिस्से नहीं है? राष्ट्रभक्त लोगों को देश की इस सच्चाई को  समझना होगा। एक सुनियोचित षडय़ंत्र के तहत कश्मीर घाटी से पांच लाख हिन्दुओं को प्रताडि़त कर भगा दिया गया। पिछले 25 वर्षों से घाटी के पांच-छह जिलों मेंएक तरफा माहौल हो गया। यही जिले आतंकवाद से ग्रस्त हैं। सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी के साथ साथ पाकिस्तान के झंडे लहराए गए। तिरंगा लहराने वालों को मौत के घाट उतारा गया तो पाकिस्तान का झंडा लहराने वाले हीरो बन गए। यानि घाटी से हिन्दुओं को हटाने के बाद ही एक तरफा माहौल हुआ। यदि घाटी में हिन्दू बसे रहते तो आज प्रशासन को सख्ती नहीं करनी पड़ती। जो माहौल जम्मू और लद्दाख का है वो ही माहौल कश्मीर घाटी का भी होता। जो लोग आज कश्मीर घाटी के नागरिकों पर लगी कुछ पाबंदियों पर चिंतित हैं वो तब कहां गए थे, जब हिन्दुओं के परिवारों की महिलाओं के साथ दुव्र्यवहार हो रहा था। जब पांच लाख हिन्दुओं को भगाया जा रहा था, तब कांग्रेस के नेता गुलाब नबी आजाद भी चुप थे, लेकिन अब कश्मीरियों के लिए आसंू बहा रहे हैं। जम्मू और लद्दाख में मुसलमान भी रहते हैं। 370 में बदलाव होने के बाद क्या किसी मुसलमान पर कोई ज्यादती हुई? उल्टे राष्ट्रभक्त मुसलमान इस बात से खुश हैं कि अब उन्हें सब अधिकार मिलेंगे। यदि घाटी के पांच-छह जिलों में रहने वाले कश्मीरी भी जम्मू और लद्दाख के मुसलमानों की तरह आचरण करें तो प्रशासन घाटी में धारा 144 की पाबंदियां समाप्त कर सकता है। 
एस.पी.मित्तल


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