शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

भाजपा के ढुलमुल रवैए से सफल रैली?

राणा ओबराय
क्या सांसद बीरेंद्र सिंह प्रदेश भाजपा के ढुलमुल सहयोग से कर पायेंगे सफल रैली
चण्डीगढ़। भाजपा अर्थात बीरेंद्र सिंह द्वारा आयोजित जींद रैली कितनी सफ़ल हो पायेगी यह तो आज की रैली ही बतायेगी। परन्तु इस रैली से एक खास बात साबित होगी जो हरियाणा में पुनः होने वाले विधानसभा चुनाव में बीरेंद्र सिंह को स्थापित करेगी।क्योंकि हरियाणा प्रदेश भाजपा का जींद रैली को प्रचार प्रसार कम है।
हरियाणा में भाजपा के दिग्गज नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद चौधरी बिरेंदर सिंह और उनका आईएएस बेटा बृजेन्द्र सिंह जिनका राज्य में अपना अलग से भी जनाधार है उसी हालात में अपने गृह जिले जींद में प्रदेश स्तर की रैली कर रहे हैं। जिस तरह 18 अगस्त को हरियाणा में कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिनका अपना भी खुद का जनाधार है अपने गृह जिले रोहतक में प्रदेश स्तर की रैली कर रहे हैं। इन दोनों रैलियों के आयोजन के पीछे कारण और हालात एक जैसे हैं दोनों की रैली कहीं न कहीं व्यक्तिगत ही हैं। रोहतक रैली अर्थात चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रैली की चर्चा फिर करेंगे आज जींद में आ रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर चर्चा करते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की आज की रैली के आयोजन के पीछे दो तीन महत्वपूर्ण कारण हैं। एक तो विधानसभा का चुनाव और उसमें टिकटों के बंटवारे के समय अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है तो एक छुपा हुआ मकसद हरियाणा में भाजपा में बहुत पावरफुल हो चुके मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनौती देना और अपने आका को यह बताना भी है कि रैली में मुख्यमंत्री के लोगों ने कोई रुचि नहीं ली।यह सारा शक्ति परीक्षण उनका अपना है। रैली की सफलता के लिए की गई करें कि गए जनसंपर्क में भी सारा प्रबंधन मेहनत समायोजन चौधरी बिरेंदर सिंह और उनके नजदीकी लोगों का रहा इसमें मुख्यमंत्री के नाम पर राजनीति करने वाले भाजपा के ज्यादातर भाजपा नेताओं ने दूरी बनाए अपने की नीति को प्रतिपालित किया। देखा जाए तो यह रैली हरियाणा में भाजपा को कमजोर करने का काम भी कर सकती है। आप जान लें कि भाजपा चौधरी नेता चौधरी बिरेंदर सिंह सोनीपत जींद और हिसार जिलों के अलावा पूरे हरियाणा में कहीं-कहीं अपने समर्थक कार्यकर्ताओं के लिए टिकट चाहते हैं और अब अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए उसी तरह संघर्ष कर रहे हैं जैसे कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा। चौधरी बिरेंदर सिंह की चिंता यह है कि बेशक वे केंद्र में मंत्री रहे अब उनका बेटा सांसद बन गया है उनकी पत्नी विधायक है परंतु वे हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं ।आज जिस तरह हरियाणा में 75 पार और मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूरे हरियाणा में छाए हुए हैं, उसमें वे अपना वजूद तलाश करते नजर आ रहे हैं। उन्हें पता है कि मुख्यमंत्री टिकटों के मामले में उन्हें कहीं भी सहयोग नहीं करने वाले हैं। आप अनुमान लगा सकते हैं कि जिन सीटों पर चौधरी बिरेंदर सिंह अपना हस्तक्षेप असर और हक मानते हैं वहीं मुख्यमंत्री ने इधर-उधर से जुगाड़ कर अपनी ऐसी गोटिया पहले ही फिट कर दी हैं जिन्हें टिकट बंटवारे के समय दरकिनार करना बहुत कठिन हो जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह चौधरी बिरेंदर सिंह को भाजपा में लेकर आए थे ।उन्होंने बहुत बार चौधरी बिरेंदर सिंह के हितों का ध्यान रखा है ।यहां तक कि जब वे भाजपा में शामिल हुए और 2014 का चुनाव आया तो उस समय भी विधानसभा की टिकटों में उन्हें ज्यादा तो नहीं परंतु कुछ टिकटें अलग से दी गई थी। यह अलग बात है कि उनमें से विधायक केवल उनकी पत्नी प्रेमलता उचाना ही बन पाई ।बता दें कि चौधरी विरेंद्र विरेंद्र सिंह के पुत्र बृजेंद्र सिंह को हिसार से लोकसभा की टिकट दिलाने में भी श्री अमित शाह की ही अहम भूमिका थी। परंतु जिन लोगों ने चौधरी विजेंद्र सिंह का केंद्रीय मंत्रिमंडल से यह तर्क देकर त्यागपत्र दिलवाया कि परिवारवाद और व्यक्तिवाद के आरोपों से बचने के लिए ऐसा करना जरूरी है। कहां गया कि लोग कहेंगे कि वीरेंद्र सिंह के परिवार के 3 सदस्य हैं और तीनों भाजपा के विधायक सांसद और मंत्री है। चौधरी बिरेंदर सिंह जींद रैली के मंच से अमित शाह को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आज की रैली में किन-किन लोगों ने सहयोग नहीं किया और निज हित पूर्ति के लिए उन्हें और भाजपा दोनों को कमजोर करने का षडयंत्र रचा है। आज की जींद रैली इस बात को भी तय करने वाली है कि नौ नौ विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले हरियाणा के भाजपा के लोकसभा सदस्य तथा राज्यसभा सदस्यों को टिकट वितरण में कुछ हिस्सेदारी मिलने वाली है या नहीं ,जिन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल उतना तवज्जो नहीं देते जितनी उनकी अपेक्षा है । भाजपा को यह समझ में आ जाएगा कि सांसदों आदि की यह महत्वाकांक्षा तो है ही ,आने वाले समय में हक के नाम पर बड़ा गतिरोध बन गया तो कोई आश्चर्य नहीं होगा ।ऐसा इसलिए भी होता दिख रहा है कि अब भ्रम फैल गया है कि विधानसभा चुनाव में जिस किसी को टिकट दिया जाएगा वहीं एमएलए बन जाएगा। यह मान्यता भी आम हो गई है कि टिकटों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही निर्णायक साबित होने वाले हैं ।
उन्होंने शतरंज के मोहरे बड़ी चतुराई से ऐसे फिट कर दिए हैं कि देखते ही बनता है। आज की जींद रैली हरियाणा में भाजपा की चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है। आज की रैली के बाद पूरे राज्य में यह चर्चा भी आम हो जाएगी कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल अपने मंत्री मनीष ग्रोवर राव नरबीर सिंह प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला राजीव जैन संजय भाटिया नायब सैनी सैनी कृष्ण लाल पंवार कृष्ण बेदी आदि पर ही भरोसा करते हैं। उनसे ही अंदर की मंत्रणा करते हैं हर किसी से नहीं। वैसे भारतीय जनता पार्टी के नेता जींद की आज की रैली मैं 2 वर्ष पहले इसी मैदान पर हुई एक फ्लॉप बाइक रैली को जरूर भूलना चाहेंगे।


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