अवैध नागरिकता
देश में कितने घुसपैठिए हैं? इस बात को तो रहने ही दीजिए। हमारे देश की किसी भी एजेंसी के पास यह डाटा नहीं है कि हमारे देश में वास्तविक भारतीय नागरिकों की संख्या कितनी है? देश के कई राज्यों में घुसपैठिए एक बहुत बड़ी समस्या है। पूर्वोत्तर के राज्यों में यह समस्या और भी अधिक विकराल हो गई है। जिसके लिए सरकार कई प्रकार के प्रयास कर रही है। लेकिन ज्यादातर प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। जिसकी वजह से घुसपैठिए अवैध होते हुए भी देश में अपनी जड़ें जमा चुके हैं। हमारे पास जनगणना के आंकड़े हैं। जिनमें वैद्य नागरिकों एवं घुसपैठिए सबके नाम शामिल है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आसम में वैध नागरिक को एवं घुसपैठियों की पहचान के लिए एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन) को अद्यतन करने का आदेश दिया। हमारे देश में पहली जनगणना वर्ष 1991 में हुई थी। उसी के आधार पर सूची तैयार की गई थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने 1951 की जनगणना को आधार मानते हुए आदेश दिया कि कोई व्यक्ति दावा करता है कि वह भारतीय नागरिक है। इसका मतलब है कि उसके पूर्वज भी भारतीय नागरिक रहे होंगे अर्थात 1951 की एनआरसी में सम्मिलित व्यक्ति के पिता या मां दादा-दादी, परदादा-परदादी का नाम मिलना चाहिए। यदि नाम मिलता है तो उसकी भारतीय नागरिकता प्रमाणिक मानी जाएगी। लेकिन यदि उसके माता-पिता या किसी परिजन का नाम 1991 की एनआरसी में नहीं मिलता तो सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी व्यवस्था भी की है। यदि बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 1971 में हुआ इसे मुक्तिसंग्राम भी कहते हैं। यह वर्ष 1971 से 25 मार्च 16 दिसंबर तक चलता रहा। युद्ध के माध्यम से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की ।16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश के निर्माण के लिए 25 मार्च 1971 से शुरू हो गया था। इसलिए 24 मार्च 1971 से पहले तक भारतीय नागरिक मानते हुए पंचायत चुनाव हुए हैं। चुनाव की मतदाता सूची में यदि उनके माता-पिता का नाम है तो उन्हें भी भारतीय नागरिक माना जाएगा । लेकिन उनके पूर्वजों के नाम मतदाता सूची में नहीं है तो उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता प्रमाणित करने के लिए 24 मार्च से पहले निम्नलिखित के रूप में सूचीबद्ध प्रारूपों में से कोई प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। जिसमें उनके माता पिता का मतदाता सूची में नाम, भूमि और नागरिकता प्रमाण पत्र, शरणार्थी पंजीकरण प्रमाण पत्र, पासपोर्ट ,एलआईसी, सरकार द्वारा लाइसेंस प्रमाण पत्र,बैंक के खाते प्रमाण पत्र, विद्यालय प्रमाण पत्र इस प्रकार के सर्कल ऑफिसर, ग्राम पंचायत सेक्रेटरी का सर्टिफिकेट, उन विवाहित महिलाओं के संबंध में जो विवाह के बाद किसी अन्य स्थान पर रहने लगी। उपरोक्त दस्तावेज 24 मार्च 1971 की आधी रात से पहले या बाद के किसी भी वर्ष का हो सकता है। राशन कार्ड जो 24 मार्च 1971 की रात से पहले जारी किए गए हो। समर्थन के रूप में ऐसे दस्तावेजों को जोड़ा जा सकता है। सूचीबद्ध 14 दस्तावेजों में से किसी एक के साथ प्रस्तुत किए गए हो। बाद में घुसपैठियों द्वारा घूस देकर ग्राम पंचायत सेक्रेटरी का सर्टिफिकेट बनवाने के कई मामले सामने आने के बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट में विवाहित महिलाओं के संबंध में पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र को एनआरसी के लिए अयोग्य मानते हुए ,उसे अवैध घोषित कर दिया।
बुधवार, 21 अगस्त 2019
अवैध नागरिकता
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