गुरुवार, 25 जुलाई 2019

शक्ति स्वरूप है अष्टमी (अध्यात्म)

हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है! शाक्त-साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं! शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।


देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप "काली" है, अर्थात काला रूप। विभिन्न रूपों में दुर्गा भारत और नेपाल के कई मन्दिरों और तीर्थस्थानों में पूजी जाती हैं। कुछ दुर्गा मन्दिरों में पशुबलि भी चढ़ती है। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है। आदि शक्ति का प्राकृटय अष्टमी को ही माना गया है, ऐसी मान्यता है! महागौरी-आदिशक्ति अपने संपूर्ण वैभव को गौरव के साथ अष्टमी के दिन सृष्टि रूप होकर इस संसार में पूर्ण रूप से प्रकट हो जाती है! उसके पश्चात नौ रूपों के अनुसार कार्य सिद्धि में लीन हो जाती है! परा शक्ति मां दुर्गा इस संसार में नारी रूप में प्रत्येक नारी में समाहित है! जिसका अनुसरण प्रत्येक नारी अपने स्वभाव और विवेक के अनुसार करती है! नारी के सभी रूपों में आदि शक्ति व्याप्त है,चाहे वह रूप चंडिका हो, काली का हो, अन्नपूर्णा का हो,स्कंदमाता का हो !लेकिन वेद-शास्त्र और उपनिषदों-पुराणों में अष्टमी के दिन को देवी से जोड़कर ही देखा जाता है! इसी कारण अष्टमी को दुर्गा अष्टमी कहा जाता है!


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