बुधवार, 17 जुलाई 2019

राजस्थान पुलिस की सक्‍ति (संपादकीय)

 मधुकर कहिन
आखिर मनीष मूलचंदानी हत्याकांड का पर्दाफाश करने में कामयाब रही पुलिस 
इस उपलब्धी हेतु बधाई के पात्र हैं अजमेर के पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप


जैसे ही अजमेर के नए पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप अजमेर आए। कुछ रोज बाद ही आगरा गेट के पास एक मनी एक्सचेंज की दुकान पर ,कुछ युवक फायरिंग करके दुकान मालिक की हत्या करके निकल लिए । कुछ दिन के लिए तो ऐसा लगा की अजमेर में अपराधियों का राज हो गया है। उस समय मीडिया ने भी पुलिस की जमकर क्लास लगाई थी।


लेकिन कुछ माह की कठिन मशक्कत और मेहनत के बाद पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप ने जिस काबिलियत से इस हत्याकांड पर बारीकी से काम किया है। उसके लिए अजमेर का पुलिस महकमा बधाई का पात्र है। आज सुबह कुंवर राष्ट्रदीप का स्वागत करने विभिन्न व्यापारिक संगठनों और सिंधी समाज के लोगों का , उनके कार्यालय के बाहर ताता लगा रहा । जो भी आ रहा था व पुलिस अधीक्षक के स्वागत हेतु मालाएं लेकर आया था। इसी बीच मनीष मूलचंदानी के परिजनों ने भी कुंवर राष्ट्रदीप से मिलकर उनको इस बात की बधाई दी । 
देखा जाए तो 13 लाख लोगों का शहर, और उस पर चंद पुलिस वाले । अपने आप में ही आंकड़ा बहुत गड़बड़ है। क्योंकि इतनी बड़ी जनसंख्या के बीच हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करना , अपराध पर काबू रखना, उसके साथ साथ ही अजमेर जैसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाली जगह पर, आए दिन रोज वीआइपीज का आना जाना। इत्यादि काम वाकई बहुत चुनौतीपूर्ण है। अक्सर देखा गया है कि पत्रकार और शहर भर का मीडिया पुलिस की खामियों पर ही विश्लेषण करता हुआ दिखाई देता है। परंतु यदि वाकई पुलिस की कार्यशैली और उन पर चल रहे पूरे शहर को सुरक्षा प्रदान करने के दबाव को, ध्यान से देखा जाए और पल भर के लिए एक पुलिस वाला बन के सोचा जाए तो यह अपने आप में बहुत कठिन काम है।आखिर पुलिस वाले भी तो इंसान ही है भाई !उनके भी घर परिवार हैं , उनकी भी सामाजिक जिम्मेदारियां है, पर बावजूद उसके जब पुलिस की सर्विस कोई भी व्यक्ति जॉइन करता है। तो वह बखूबी जानता है कि उसे इन सब जिम्मेदारियों के साथ शहर भर के लोगों के दुख दर्द को समझ कर उनकी सुरक्षा के प्रति भी अपना उत्तरदायित्व निभाना है। केवल पुलिस को गाली देने की मानसिकता से या पुलिस की कार्यशैली की निंदा पर चर्चा कर देना समस्या का हल नहीं है। अपितु सजग नागरिक की जिम्मेदारी निभाते हुए , पुलिस महकमे को मानवीय दृष्टिकोण से मदद करने की भी आवश्यकता है।हालांकि ... पुलिस ने आम लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित करने हेतु हर थाने में सीएलजी कमेटी बना रखी है। परंतु वहां पर भी अधिकांश ऐसे लोग ही बैठे हैं , जो मात्र इस मीटिंग में बैठकर बाकी लोगों पर यह सिद्ध करने का प्रयास करते हैं की उनकी कितनी चलती है । जबकि सीएलजी कमेटी में जितने भी लोग हैं , उन्हें आम जनता को पुलिस के साथ जोड़कर शहर में एक ऐसा माहौल तैयार करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। जिसके चलते शहर में शांति और सुरक्षा का माहौल बना रहे । खैर !!! मनीष मूलचंदानी हत्याकांड के खुलने से कुंवर राष्ट्रदीप पर और अजमेर की पुलिस की कार्यशैली पर जो सवालिया निशान खड़े किए जा रहे हैं थे, उन सभी पर अब विराम लग गया है। जिसके लिए पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप को एक बार पुनः हार्दिक बधाई।


नरेश राघानी


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