शनिवार, 20 जुलाई 2019

प्रदेश में सामंतवाद व जंगलराज कायम

सोनभद्र की जमीन गुंडों की जागीर नहीं, आदिवासियों की मातृभूमि है।बेकसूर आदिवासियों के हत्यारों और सामंती भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी,सभी जिम्मेदार अधिकारियों को कठोर सजा व भूमि सुधार कानून 2006 लागू हो
प्रदेश में सामंतवाद व जंगलराज कायम


उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा सामूहिक नरसंहार को मामूली घटना बताया जा गैरजिम्मेदाराना व बेहद शर्मनाक 


लखनऊ । सोनभद्र जिले के ग्राम पंचायत मुर्तिया के उम्भा गांव में 17 जुलाई को एक दबंग माफिया,अजगर मुखिया यज्ञदत्त ने अपने 200 गुंडों के साथ 10 गोंड आदिवासियों ( जिनमें तीन महिलाएं भी हैं ) की खुले आम गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी । इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए हुए राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव लौटनराम निषाद ने त्वरित कार्यवाही करते हुए वहां के जिम्मेदार जिलाधिकारी,पुलिस अधीक्षक, एसएसपी व फोरेस्टर को निलंबित करते हुए घटना में शामिल सभी 200 दबंग गुंडों समेत अधिकारियों की गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की है ।मुख्य आरोपियों पर तत्काल रासुका व गैंगेस्टर लगाया जाना आवश्यक है।
सोनभद्र में आदिवासियों की हत्या मध्ययुग की दो रियासतों के बीच वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा नहीं है, बल्कि आज के "मजबूत" भारत की हक़ीक़त है । उप्र के सोनभद्र जिले में दिन दहाड़े गोंड़-माँझी आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा करने के लिए 10 बेकसूर आदिवासियों का नरसंहार कर दिया गया । पहले उनकी जमीन को एक नौकरशाह ने हड़पा और फिर उसने उस जमीन को स्थानीय दबंगों व माफियाओं को बेच भी दिया । अब उन दबंगों ने कब्जा करने के लिए बारिश के मौसम में गोलियों की बरसात कर 10 आदिवासियों की हत्या की और सैकड़ों को घायल किया । विडम्बना है कि जिस घटना पर राष्ट्रीय शर्म होनी चाहिए उस पर कोई मामूली बहस भी नहीं है।प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा द्वारा इस नरसंहार को मामूली घटना बताये जाने की निषाद ने कटु शब्दों में भर्त्सना करते हुए कहा कि उपमुख्यमंत्री का बयान बेहद अफसोसजनक, गैरजिम्मेदाराना व शर्मनाक है।प्रदेश की सत्ता पर जब से योगी का कब्जा हुआ है,गुंडों,अपराधियों, माफियाओ का कब्जा हो गया है।हत्या,डकैती,राहजनी,अपहरण,बलात्कार की घटनाएं आम हो गईं है।जंगलराज से जनता दहशत में है।कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है।
निषाद ने कहा कि ये कोई "जमीन विवाद में दो पक्षों में हिंसा" जैसी चीज नहीं है, बल्कि आदिवासियों की जमीन को हड़पने के लिए किया गया उनका नरसंहार है , और इस नरसंहार की कीमत उन दबंगों और सामंतवादी भाजपा सरकार को भारी पड़ेगी, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी । भूमि सुधार कानून 2006 जल्द से जल्द लागू किया जाए ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you, for a message universal express.

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की

डीएम ने विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक की पंकज कपूर  नैनीताल/हल्द्वानी। उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा दिए गए निर्देशों के क्रम में नैनीताल ...