सोमवार, 29 जुलाई 2019

फर्जी वेतन निर्धारण आदेश:पूर्वोत्तर रेलवे

जबकि भंगेड़ी लेखाधिकारी ने ही दिया था फर्जी वेतन निर्धारण का आदेश


DPC तैयार, मेजर पेनाल्टी के बजाय दी जा रही पदोन्नति


पूर्वोत्तर रेलवे ! कार्यरत सहायक लेखाधिकारी को बचाने के लिए नीचे के कर्मचारियों  को बली का बकरा बनाए जाने का मामला "रेल समाचार" में प्रकाशित हुआ था। "रेल समाचार" ने लेखा विभाग में फर्जी वेतन निर्धारण  का पर्दाफाश किया था। लगातार ऐसे कारनामों को अंजाम देने वाले इस सहायक लेखाधिकारी के सिर पर विभाग प्रमुख (PFANER) का वरदहस्त होने के कारण उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी।यह मामला महाप्रबंधक के  संज्ञान में आने का बाद उनके कठोर निर्देशों के बाद इस भांगेडी लेखाधिकारी का स्थानांतरण  लेखाधिकारी/प्रशासन के पद से किया गया था।इसके तत्काल बाद सतर्कता संगठन द्वारा सभी संबंधित फाइलें जप्त कर इस मामले की जांच की जा रही थी और समझा जा रहा था कि इस लेखाधिकारी को अवश्य ही मेजर पेनाल्टी दी जाएगी। परंतु लोगों को घोर आश्चर्य तब हुआ जब इस मामले में मात्र एक तृतीय श्रेणी के पर्यवेक्षक, जो 31जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहा है, को मेजर पेनाल्टी चार्जशीट जारी कर दी गई। अब पता चला है कि इस लेखाधिकारी को पदोन्नति देने की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है, DPC हो चुकी है, PFA का प्रयास यह है कि चार्जशीट जारी होने से पहले उसे पदोन्नति दे दी जाए।


उल्लेखनीय है कि यह भांगेडी लेखाधिकारी पूर्व में सतर्कता विभाग में काम कर चुका है, इसलिए सतर्कता विभाग द्वारा भी इसके प्रमाणित कदाचार को या तो नजरअंदाज किया जा रहा है, या फिर जानबूझकर निष्कर्ष में इसलिए देरी की जा रही है कि जिससे उसकी पदोन्नति हो जाए।"रेल समाचार" को अपने सूत्रों से कुछ अभिलेख प्राप्त हुए हैं, जिनके अवलोकन से यह भंगेड़ी लेखाधिकारी पूरी तरह से दोषी दिखाई देता है।"संलग्न नोटिंग" जिससे जाहिर है कि इसी के आधार पर गलत वेतन निर्धारण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी, यह इसी लेखाधिकारी के हस्ताक्षर से अनुमोदित की गई थी। पुनः "संलग्न वेतन निर्धारण" के लिए जारी ज्ञापन, जिसके आधार पर वेतन निर्धारण  का प्राधिकार जारी किया गया था, वह भी इसी लेखाधिकारी के हस्ताक्षर से जारी हुआ है।


इसी ज्ञापन में दिए गए निर्देशों के आधार पर किए गए वेतन निर्धारण को वेट करने वाले नीचे के लेखा पर्यवेक्षक को मेजर पेनाल्टी जारी हुई है।कर्मचारियों का कहना है कि नीचे का कोई लेखा कर्मचारी एवं पर्यवेक्षक अपने अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता है। उनका कहना है कि जब नीचे के कर्मचारियों के विरूद्ध ऐक्शन हो सकता है, तो इस कदाचार का मूल आधार और इसका आदेश जारी करने वाले अधिकारी को प्रशासन क्यों बचा रहा है? यह समझ के परे है। इससे कर्मचारियों में घोर आक्रोश व्याप्त है। महाप्रबंधक को चाहिए कि वह अपने PFA और PCCM जैसे विभाग प्रमुखों के कदाचारों को अविलंब संज्ञान में लेकर उचित कदम उठाएं।


उमेश शर्मा


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