सोमवार, 22 जुलाई 2019

बेजुबानों की शामत,बदजुबानों पर रहमत

 बेजुबानों पर शामत,बदजुबानो पर रहमत,यही है सरकार की शियासत
लगातार विवादित रहने के बाद भी क्यों जमे हैं भृष्ट अधिकारी।


ललित श्रीवास्तव


नरसिंहपुर ! मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार जब से सत्ता में आई है,तबसे ताबड़तोड़ तबादलों का दौर जारी है,विपक्ष द्वारा इस प्रक्रिया को तबादला उधोग का नाम दिया गया है,इन तबादलों की गति और कार्यशैली ऐंसी रही कि कई स्थानों पर तो खोजी कुत्तों के भी तबादले कर दिए गए और कहीं तो एक ही अधिकारी के चार चार बार तबादलों की खबरें भी सामने आईं,यह चमत्कारिक तबादला कार्यक्रम यहीं नही रुका एक स्थान पर तो सचिव की जगह सरपंच का भी ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन नरसिंहपुर में मामला बिल्कुल उलट है,यहाँ बीते दिनों नगर पालिका के बाबुओं के भी ट्रांसफर कर दिए गए,और ट्रांसफर कर दूर दराज के जिलों में फेंक दिया गया,अब इसे तबादला नीति कहें या बदला नीति यह विचार करने का विषय है,लेकिन इतने भीषण तबादलों के बाबजूद भी वर्षों से विवादित अधिकारियों पर सरकार और जिले के जनप्रतिनिधियों की कौन सी कृपा या लगाव है यह शासन प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह है...
आखिर क्यों डटे हैं,बदजुबान अधिकारी
जिले के लोक निर्माण विभाग अधिकारी आदित्य सोनी की कार्यशैली से अब पूरा जिला वाकिफ हो चुका है,अपनी विवादित एवं लापरवाह कार्यशैली के चलते चारों ओर यह अधिकारी निंदा के पात्र भी बने हुए हैं,लोक निर्माण विभाग अधिकारी के कार्यकाल में कराए गए निर्माण कार्यों की बात करें तो गुणवत्ता के नाम पर अधिकांश निर्माण कार्य ठप्प ही साबित होंगे,फिर चाहे वह शहर में बनी सड़कें हों,दशहरा मैदान का स्टेडियम ग्राउंड हो या फिर अन्य कार्य,अनेक स्थानों पर तो पिछले पांच वर्षों में कई बार निर्माण कार्यों को उधेड़कर नवीन निर्माण कार्य कर दिए गए,अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए बागौर टेंडर के निर्माण कार्यों के ठेके दे दिए गए,ऐंसे अनेक कारनामों से सोनी का विरोध होता रहा है,विगत दिवस कांग्रेस के युवा कार्यकर्ताओं से भी बदजुबानी से बात करने के चलते केलेंक्टर महोदय एवं स्थानीय लोगों द्वारा ई ओ सोनी पर आक्रोश व्यक्त किया गया था,कार्यकर्ताओं से बदसलूकी करते हुए उन्होंने कहा कि भाड़ में जाये आपका नरसिंहपुर और यहाँ के भाजपा-कांग्रेस के नेता, मेरा कुछ नही बिगाड़ सकते! इस प्रकार खुलेआम यह अधिकारी जिलेवासियों एवं जनप्रतिनिधियों को खुली चेतावनी देता रहा,लेकिन किसी की आंखे नही खुली! जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के संरक्षण से ही सम्भव है! जो इतनी बदजुबानी के बाद भी ऐंसे लापरवाह अधिकारी कुर्सी से चिपके हुए हैं।
सोचने बाली बात तो यह है कि जिस प्रदेश में बेजुबान कुत्तों समेत छोटे-छोटे बाबुओं के भी तबादले किये जा रहे हैं,उसी प्रदेश में एक बदजुबान अधिकारी आखिर किसके संरक्षण में जिले को चुनौती दे रहा है।


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