रविवार, 16 जून 2019

सामाजिक स्वतंत्रता के विपरीत

हमीरपुर ! राकेश त्रिपाठी । प्यार , मोहब्बत और इश्क़ के ज्यादातर मामले अब रेप या शारीरिक शोषण के आरोपों में तब्दील होने लगे हैं । यह तब्दीली पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बन रही है और शासन के प्रति प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है ।उम्र के तक़ाज़े के साथ भावनाओं में वह उठाया गया क़दम,  आशिकों को आरोपी के रूप में कानून के कठघरे में खड़ा कर रहा है ।
आज़ कल नगर क्षेत्र , आस पास और दूर दराज़ के क्षेत्रों से रेप की घटनाओं की बाढ़-सी आ गई है । ऐसी खबरों से न केवल पुलिस प्रशासन की थू-थू हो रही है ! बल्कि शासन सत्ता के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं । इन खबरों से चारों ओर हाय-दईया मचा है । जब कि अंदरूनी सच कुछ और है । मीडिया भी अन्दर का सच न बताकर कौवा-कान ले गया की तर्ज पर नमक-मिर्च मिला कर इन खबरों के माध्यम से पुलिस और सत्ता की किरकिरी कर, वाह-वाही हासिल कर रहा है ।
पुलिस भी ऐसी घटनाओं का सच जानते हुए पीड़िता के बयान पर निर्दोष आरोपी के विरुद्द कार्यवाही करने को विवश है । कानून से यह पुलिस की लाचारी है ।
पुलिस में ऐसी घटनाओं की तहरीर देने के बाद मामले में सुलह हो जाने रिपोर्ट दर्ज न होना या कानूनी कार्रवाई के बाद पीड़िता का अदालत में बयान बदल देना सब कुछ स्पष्ट कर देता है । यौवन के जोश में इश्क़ से शुरुवात हुई संबंधों की कहानी उस समय मोड़ ले लेती है जब लालच या स्वार्थ की भावना युवक युवती में से किसी भी एक में आ जाती है । प्यार के खेल में भावनाओ में आकर बनाये गये फ़ोटो या वीडिओ ब्लैक मेलिंग का आधार बनते हैं । अथवा जब युगल में अनबन हो जाती है तो यह कार्रवाई बदले की भावना से होने लगती है । फ़िर पुलिस की मुसीबत और आशिक की आफत शुरू होती है । दो दिलों में उपजा प्यार या नादानी में उठाया गया क़दम किसी भी युवक को बलात्कारी बनाने के लिए पर्याप्त होता है ।
कहते हैं कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है । सो ऐसे मामलों में युवक के सहयोगी जब लपेट में आते हैं तो मामला गैंग रेप का हो जाता है । ऐसी कुछ घटनाओं में ऐसा भी प्रकाश में आया है कि प्रेमी प्रेमिका की भावनाओ में बेईमानी नहीँ थी लेकिन जब लड़की के परिजनों की संज्ञान में मामला आया तो उनकी नियत खराब हो गयी । लड़के ने मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी तो ठीक , नहीँ तो कटघरे में । लड़की बेचारी बेबस होकर वफ़ा नहीँ कर पाती ।


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