शुक्रवार, 28 जून 2019

क्या करें सरकार?

सोसल मिडिया पर उपलब्ध सूचनाओं अनुसार केंद्र सरकार लगभग 28सरकारी उद्यम बेच रही है?या उनका निजीकरण कर रही है? बिना दिमाग वाले राजनीतिज्ञ और कम दिमाग वाली जनता,विरोध कर रही है ? विपक्षी राजनीती को देश हित,जनहित के कोई मतलब नही ? जनता कम दिमाग वाली है ही, यह समस्त राजनीतिज्ञ जानते है,जनता को भड़काने का मुद्दा चाहिए विपक्ष को ?
कौन है इस निजीकरण का जिम्मेदार ?

इस निजीकरण का श्रेय जाता है देश के तमाम घूसखोरों को ? जिनको सब सुविधा उपलब्ध कराने के बाद भी कमा नही सकते?चपरासी से लेकर ड्राइवर तक चोर है ?
जनता का कोई काम घुस के बिना होता नही है, चाहे इन घूसखोरों को 7वाँ वेतन आयोग का पैसा दे दो ?या
10वे वेतन आयोग का, इनका घुस का रेट बढ़ता ही जाता है ? बदनाम सरकारे होती है ? तो क्या करे सरकार?आप ही बताओ?इन घूसखोरों की वजह से ही युवा पीढ़ी के भावी सरकारी जॉब के रास्ते हमेशा के लिए बन्द होते जा रहे है ?जनता, धार्मिक,जातीय कट्टरता पर जान देने की तैयार है,देश में लाखों NGO, संगठन है जातीय एकता के,धार्मिक कट्टरता के?लेकिन एक भी संगठन ऐसा नही? किसी भी शहर में?जो किसी भी घूसखोर को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर कार्यालय से बाहर निकलते ही मारे ? शासनः,प्रशासन,थाना,अदालते आम जनता को शीघ्र-सस्ता न्याय देने में विफल है, छोटा सा भी सरकारी काम करवाने के लिए जनता बेचारी साबित हो रही है , जनता की स्थिति ऐसी है कि घूसखोरों के जंगल में एक अकेली बकरी कई दिनों से भूखे शेर के सामने आ गयी हो ?निजीकरण भावी पीढ़ी के लिए सरकारी जॉब के तमाम रास्ते बंद करेगा यह सही है लेकिन इन घूसखोरों की वजह से सरकार मजबूर है निजीकरण करने के लिए ?किसी के पास कोई और इलाज है तो बताओ इन सफेद हाथियों को पालने का ?
सोचो, बताओ , कम दिमाग वालो, आप लोगो के पास कोई इलाज है ? तो हम सरकार को न केवल प्रस्ताव बनाकर भेजेगे ? बल्कि ठोस दलील एवम साक्ष्य उपलब्ध कराओगे?तो न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाये निजी करण नही होने देने के लिए ?


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