बुधवार, 26 जून 2019

कांग्रेस की विरासत का काला धब्बा

 आपातकाल कांग्रेस की शानदार विरासत पर काला धब्बा


कुशीनगर ! वर्ष 1975 देशवासी जब सुबह सो कर उठे तो पता चला कि प्रजातांत्रिक मुल्क में नागरिक अधिकार विहीन भारतवासी बन चुके हैं । देश के लोगों को संविधान में उल्लिखित अनुच्छेद 352 के ताकत की भी जानकारी प्राप्त होने लगी!देश में भय एवं आतंक पैदा करने के लिए अंधाधुंध गिरफ्तारियां तथा यातनाओं का लंबा दौर चल पड़ा तथा राजनीतिक दलों के अधिकांश बड़े नेता जेल में डाल दिए गए ।उक्त असाधारण कदम श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी की सुरक्षा के लिए उठाया था ! कांग्रेस में चंद्रशेखर आदि युवा तुर्कों को छोड़कर किसी ने भी इंदिरा जी के कदम का मुखर विरोध नहीं किया ! संसद सरकार की बंधक एवं न्यायपालिका कार्यपालिका के सामने असहाय होकर लगभग समर्पण की मुद्रा में आ गयी प्रेस का गला घोट दिया गया तथा लोगों के जीवित रहने के प्राकृतिक अधिकार को सरकार के रहमों करम पर छोड़ दिया गया ।


आपातकाल के दौरान गर्व करने वाली बात यह थी कि सिख्खो ने अपने बलिदानी परंपरा को कायम रखते हुए पूरे आपातकाल के दौरान प्रतिदिन सत्याग्रह करते हुए अकाली दल के नेतृत्व में इंदिरा जी को लगातार चुनौती देना जारी रखा।आज का दिन यह याद दिलाता है कि सरकार एवं दल में चापलूसो, सुविधा भोगियों का वर्चस्व होने पर तथा शक्ति का अत्यधिक केंद्रीयकरण होने पर ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं ,
जिस कांग्रेस ने मुल्क की आजादी तथा लोगों के स्वतंत्रता हेतु एक लंबा एवं शानदार संघर्ष किया तथा आजादी बाद अनेक सुधारों को अंजाम दिया जिसमें हिंदू उत्तराधिकार एवं विवाह अधिनियम, प्रेस की स्वतंत्रता का कानून आदि है उसी कांग्रेस ने सत्ता बचाए रखने के लिए प्रजातंत्र का गला घोट दिया तथा हजारों लोगों को जेल में डाल दिया ,
क्या 1969 के पूर्व जब कांग्रेस का विभाजन नहीं हुआ था उस समय इंदिरा जी मोरारजी देसाई आदि के रहते आपातकाल लगा सकती थी ? कांग्रेस की वर्तमान दशा पर तमाम चर्चाएं हो चुकी हैं शाहबानो प्रकरण में यदि राजीव गांधी मुस्लिम कट्टरपंथियों के सामने घुटने नहीं टेके होते तो क्या बहुसंख्यक हिंदू समाज मंदिर के लिए लामबंद होता ?
मेरे विचार से आपातकाल एवं शाहबानो प्रकरण ने कांग्रेस को वैचारिक एवं राजनीतिक रूप से बहुत ही नुकसान पहुंचाया है,एक देश एक चुनाव, तीन तलाक प्रकरण में कांग्रेस की भूमिका उसके भविष्य की राह निर्धारित करने वाली साबित हो सकती है,
आपातकाल ने कांग्रेस के शानदार विरासत को धुमिल कर दिया तथा शाहबानो प्रकरण में मध्यमार्गी, राष्ट्रवादी तथा सुधार कामी राजनीतिक दल की छवि को गंभीर चोट पहुंचाया है जिससे वह आज तक उबर नहीं पायी है


मदन गोविन्द राव
पूर्व विधायक


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