शुक्रवार, 28 जून 2019

हकीकत पर पर्दा क्यों? (संपादकीय)

आखिर बेटियां सब के घर में है भाई ! 


भाजपा नेता की गलत हरकत पर पर्दा क्यूँ


 


2 दिन से लगातार मेरा फोन बज रहा है । जब भी फोन उठाता हूं तो ,उस पार कोई ना कोई कांग्रेसी होता है। जो यह कहता हुआ सुनाई देता है कि साहब हफ्ता भर पहले एक आवासीय कंपलेक्स में किसी भाजपा नेता की पिटाई हुई है। जिस पर आरोप है कि उसने एक नाबालिग बालिका के साथ छेड़छाड़ की है। उस गुड़िया द्वारा अपने परिजनों को शिकायत करने पर, गुड़िया के परिजनों ने नेताजी की जमकर धुनाई की है। परंतु यह पूछने पर कि , भाई बता दो !ऐसा कौन है ?जिसकी ऐसी धुनाई हुई है । कोई भी मूँह खोल कर नहीं बोल रहा है। उल्टा यह कहता है! साहब खबर रखने वाले लोग तो आप हैं। हमसे क्यों पूछ रहे हैं ? आप खुद खबर पता करो ? मुझे भी बात में दम लगा। तो आखिर मैंने भी रिपोर्टर को भेजा , और कहा - जाओ भाई देखो ! यह कांग्रेसी केटलियाँ आखिर दो दिन से किसके लिए किटकिटा रहीं हैं ? रिपोर्टर वापस आया और उसने जो बताया वह हमारे बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से आप तक पहुंचना बहुत जरूरी है।बस उसी जरूरत को पूरा करते हुए या ब्लॉग लिख रहा हूं।
मुद्दा यह नहीं है कि ,ऐसा घटिया काम करने वाला व्यक्ति किस पार्टी से था ? मुद्दा यह भी नहीं है कि कांग्रेसी क्यों इस घटिया कृत्य को उजागर करने पर तुले हैं ? मुद्दा दरअसल यह है कि सार्वजनिक जीवन की सारी सीमाएं और पराकाष्ठाओं को लांघते हुए, एक नेता अपनी ताकत के दम पर आखिर किन हदों तक गिर सकता है ? मुद्दा यह है कि ऐसे नेताओं को क्या राजनीतिक जीवन में बने रहना चाहिए ? मुद्दा दरअसल यह है कि राष्ट्रवाद की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले इन नेताओं को उजागर करना इन सब बातों में सबसे पहले जरूरी है। एक पिता की दृष्टि से सोचा जाए तो यह बात जितनी शांति से दब जाए वही अच्छी है। क्योंकि यह उजागर होने से कहीं न कहीं उस गुड़िया के सामाजिक भविष्य पर भी गलत प्रभाव पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। परंतु ऐसे नेताओं का क्या ? जो अपनी ताकत के दम पर इस तरह का घटिया काम करने की हिम्मत करते है। न खुद की उम्र का लिहाज, न ही दुनियादारी का। बस निकल पड़ते हैं अपने मन के घोड़े पर सवार, सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठाने। और ऐसे घृणित कृत्य को छुपाने में सफल भी हो जाते हैं ! यह कमी निश्चित तौर पर हमारे समाज के जागरूक वर्ग की है । जो ऐसी घटनाएं देखकर ताकतवर नेताओं को उजागर करने की बजाए उन्हें बचाने में लग जाता है। यह ब्लॉग ऐसी सैकड़ों गुड़ियाओं की सुरक्षा की दिशा में , मेरे अपने ढंग से किया हुआ प्रयास है। ताकि ऐसे नेताओं के मन में लोक-लज्जा के भय की कील ठोकी जा सके। और फिर कभी किसी की भी गुड़िया के साथ ऐसा न हो।
सवाल यह है कि वह नेता आखिर कौन है ?  यह ब्लॉग पढ़ने के साथ साथ आपके आई क्यू लेवल की जांच भी हो जाएगी।उम्मीद करता हूं की आप इस टेस्ट में ज़रूर पास होंगे।
अब पता नहीं कि इस बात में कितनी सत्यता है परंतु कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कोटड़ा क्षेत्र में स्थित एक आवासीय काम्प्लेक्स में यह घटना हफ्ता भर पहले घटित हुई है । यह कथित नेताजी कोई और नहीं शहर के जाने-माने, राष्ट्रवाद का झंडा उठाए हुए घूमने वाली पार्टी की आंखों के तारे। संभवतः सोम को अवतरित भाजपा रत्न और समस्त आर्यव्रत में , अपनी छिपी हुई प्रतिभाओं हेतु मशहूर एक लगभग 55 वर्षीय नेता है।



अब जब राष्ट्रवादी पार्टी के नेता ने ऐसा काम किया है तो स्वाभाविक है कि विरोधी यही चाहेंगे कि जल्द से जल्द लोगों को यह कुकृत्य पता पड़ जाए कि , यह काम किसका है ??? परंतु सामाजिक आधार पर देखा जाए तो यह चीज राजनीति से ऊपर उठकर वाकई ध्यान देने योग्य है। क्योंकि आज जो कुछ भी उस गुड़िया के साथ हुआ है वह कल हम लोगों में से किसी की भी गुड़िया के साथ घटित हो सकता है। मैं हिम्मत की दाद देना चाहूंगा, इस गुड़िया के दिलेर पिता की । जिसने एक आदर्श पिता का धर्म निभाते हुए उस नेता की धुनाई की। मैं साधुवाद देना चाहता हूं !ऐसे पिता को जिसने सिस्टम के दबाव में ना आकर नेताजी को मजा चखाया। अपनी गुड़िया की बदनामी ना हो शायद इस डर से वह मजबूर पिता खुलकर उस नेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करवा रहें हैं। परंतु यकीन मानिए यदि वह ऐसा करते है, तो पूरा शहर उस नेता के खिलाफ उनके साथ आकर खड़ा हो जाएगा !इसका मुझे अटूट विश्वास है। क्योंकि यह अजमेर है !अजमेर वासी अभी इतने भी बुज़दिल नहीं हुए है कि सिस्टम से घबरा कर अपनी गुड़िया को न्याय न दिलवा पाएं। आखिर बेटियां सब के घर में है भाई !


नरेश राघानी


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