सोमवार, 17 जून 2019

बिन पानी सब सून

पानी की समस्या पर विशेष



मेरे द्वारा की गई एक पहल और खुद के द्वारा पानी बचाव के लिऐ पैदा की गई सोंच पे उम्मीद है कि आप भी मेरे नक्से कदम पर चलने की कोसिस करेंगे! क्योंकि जल है तो कल है,
पूरे भारत में पीने लायक पानी की कमी दिन प्रतिदिन घटती चली जा रही है जो की एक चिंता का विषय बनता चला जा रहा है, एक लोटे पानी की जरूरत पे हम सैकड़ो लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं! जरा सोचिए यही पानी आपको एक 500 मीटर दूरी से लाना पड़े तो आप भी सोचेंगे कि आधे लोटे से काम चला लो,आधा बाद के लिए हो जायेगा!कई वर्षों पहले की बात है जब लोग कड़ी मेहनत करके कुओं से पानी निकालते थे! उसके बाद हैण्डपम्प में पानी आने के बाद फिर भी कुछ ठीक था! पर आज के दौर में घर घर में समर्सिबल मोटर लगी होने के कारण पानी दोगुना तिगुना बर्बाद किया जा रहा है!
इस पहल को आगे बढ़ाने के लिऐ मैंने खुद को आगे लाया और पानी कैसे बचाया जाये ,दो शब्दों में अपनी बात रख रहा हूं! करता था पानी की बर्बादी मैं, हफ्ते में धुलता था गाड़ी, सड़के धोता था, शौंच से आने के बाद हाँथ समर्सिबल चला के धोता था! 
आज गाड़ी महीने में एक बार ,सड़के धोना बन्द ,पानी बाल्टी में भरकर उपयोग में ला रहा हु, अमूमन यही होता है !आज सबसे ज्यादा पानी धुल को बैठाने के लिये, गाड़ियों को धोने में पानी बर्बाद किया जा रहा है!अपनी बात मैंने इस लिए रखी की शायद आप भी मेरी तरह कुछ पानी बचा के अपने लिए न सही अपने बच्चों के लिए उनका भविष्य सुनिश्चित कर सकें!
पहले खुद समझे फिर दुसरों को समझाएं!फिर कुछ ऐसा सिस्टम बनाएं की आपके प्रयोग से बचे हुये पानी को एक गड्ढे में इकठ्ठा किया जा सके! फिर चाहे वो तालाब हो या फिर छोटा गड्ढा हो!
नदियों में पानी सूख रहा है,धरातल में पानी कम हो रहा है!
अब यहां पर सवाल खड़ा होता है!आम आदमी पानी बर्बाद कैसे करता है, जानवरों को नहलाता है!सड़कों में धुल मिट्टी से हो रही बीमारियों से बचने के लिए पानी के माध्यम से उसे बैठाता है!
भीषण गर्मी में जब पानी की अहम जरूरत है तो दिन में तीन बार नहाता भी है, अब करे तो क्या करे!
दिन प्रतिदिन ये चिंतन का विषय बनता चला जा रहा है,
आज हर जगह पानी बचाव पानी बचाव के लिए नारे लगाये जा रहे हैं!
अख़बार के माध्यम से टीवी के माध्यम से, हर तरफ से प्रयास किये जा रहव हैं, दो बूंद पानी अपने भविष्य के लिए बचाया जा सके!
मेरे हिसाब से जरूरत के हिसाब से समर्सिबल की मोटर लगवाई जायें, और जिन घरों में पानी की अधिक आवश्यकता नही है उनमे से मोटरें हटवाई जायें,
मुझे लगता है, कि कुछ पानी अवश्य बच जायेगा,


रिशु सिंह


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