शनिवार, 4 मई 2019

भोपाल में कमल और कमलनाथ अधर में

भोपाल में कमल और कमलनाथ अधर में


बिगड़ता दिख रहा है कमल और कमलनाथ का समीकरण
भोपाल। परिसीमन के बाद हुए 2009 और 2014 के दोनो ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता वीरेंद्र कुमार खटीक ने टीकमगढ से जीत हासिल की। केन्द्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह इस बार यहां से हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में है। जबकि कांग्रेस ने इस बार यहां से किरण अहिरवार को मैदान में उतारा है।6 मई को देश के 7 राज्यों की 51 लोकसभा सीटों पर पांचवे चरण के लिए मतदान होना है। हालांकि मध्य प्रदेश के लिए तो इसे दूसरे चरण का ही मतदान कहा जा सकता है। 6 मई को मध्य प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है। इन सातों सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन ने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के राजनीतिक समीकरणों को गड़बड़ा दिया है।
1. टीकमगढ (कुल वोटर- 16.47 लाख)- लोकसभा संसदीय क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह क्षेत्र जिला बुंदेलखंड क्षेत्र का एक हिस्सा है। परिसीमन के बाद हुए 2009 और 2014 के दोनो ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बड़े नेता वीरेंद्र कुमार खटीक ने यहां से जीत हासिल की। केन्द्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह इस बार यहां से हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में है। जबकि कांग्रेस ने इस बार यहां से किरण अहिरवार को मैदान में उतारा है। सपा ने अपने पूर्व घोषित उम्मीदवार का टिकट काटते हुए बीजेपी छोडक़र आए पूर्व विधायक आरडी प्रजापति को चुनावी मैदान में उतारा है। लगभग 77 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले इस इलाके में अनुसूचित जाति की संख्या 23.6 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की 4.5 फीसदी के लगभग है। इस सीट पर 13 फीसदी के लगभग अहिरवार और यादव के अलावा खटीक भी चुनावी हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. खजुराहो (कुल वोटर- 18.42 लाख)- संसदीय क्षेत्र तीन जिलों में बंटी हुई है। बुंदेलखंड के खजुराहो से शुरू होकर यह संसदीय क्षेत्र कटनी जिले के महाकौशल तक फैला हुआ है। बीजेपी ने पिछले दोनो लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी यहां से नया उम्मीदवार मैदान में उतारा है। वर्तमान सांसद के विधायक बन जाने के बाद बीजेपी की तरफ से पार्टी के प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा इस बार चुनावी मैदान में है। कांग्रेस ने पिछले दोनो लोकसभा चुनाव हारे हुए उम्मीदवार को इस बार बदलकर कविता सिंह को मैदान में उतारा है। सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से बुंदेलखंड के कुख्यात दस्यू ददुआ के बेटे वीर सिंह चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। कुर्मी वोटरों के साथ-साथ वीर सिंह सपा-बसपा के पारंपरिक यादव-मुस्लिम और दलित को भी लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। ओबीसी मतदाता खासतौर से कुर्मी निर्णायक भूमिका में हैं। 2.5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण और 80 हजार के लगभग ठाकुर मतदाता भी जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
3. दमोह (कुल वोटर- 17.68 लाख)- संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने वर्तमान सांसद प्रह्लाद पटेल को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने दमोह से पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी को उम्मीदवार बनाया है। इस तरह से इस सीट पर मुकाबला लोधी बनाम लोधी ही बन गया है। हालांकि बीजेपी के प्रह्लाद पटेल का यह 8 वां लोकसभा चुनाव है तो वहीं कांग्रेस के प्रताप सिंह पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। बसपा ने यहां से बुंदेली गायक जीत्तू खरे उर्फ बादल को मैदान में उतारकर चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। इस सीट पर 2.6 लाख के लगभग लोधी, 2.3 लाख कुर्मी, 1.5 लाख से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता है।
4. सतना (कुल वोटर- 15.75 लाख)- से बीजेपी ने अपने 3 बार के लोकसभा सांसद गणेश सिंह को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने यहां के मतदाताओं की सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों को लुभाने के लिए राजाराम त्रिपाठी को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने एक लाख से ज्यादा कुशवाहा वोटरों की संख्या को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के इस गढ़ से अच्छेलाल कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर 3.5 लाख ब्राह्मण, 1.5 लाख अनुसूचित जाति, 1.3 लाख अनुसूचित जनजाति, 1.2 लाख पटेल के अलावा 1.1 लाख के लगभग कुशवाहा मतदाता है।
राम कुमार कुशवाहाuniversalexpress.page


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